इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन जज ने कहा था कि इन्टरनेट पर व्यस्क सामग्री और पोर्न की रोकथाम के लिए कानून बनाया जायेगा.
उसी याचिका पर इस बार फिर से सुनवाई हुयी तो नए जज HL दत्तु ने कहा कि इस तरह की साइट्स पर रोक का मतलब है व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार को छीनना.