मुस्लिम महिलाओं का ख़तना – एक बार आप अपने आपको चींटी काटिए। दर्द दिया ना।
जरा सोचिए कि जब खतना किया जाता होगा तो कितना दर्द देता होगा।
मुस्लिम महिलाओं का ख़तना – इस दर्द से हर मुस्लिम महिलाओं को गुजरना पड़ता है और इसी दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक मुस्लिम महिला ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। अब इस प्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने भी असंवैधानिक माना है। आज इस आर्टिकल में बात करेंगे कि क्या होता है मुस्लिम महिलाओं का ख़तना और कैसे महिलाओं चुपचाप इस दर्द से गुजर रही हैं।
मुस्लिम महिलाओं का ख़तना
कई लोगों को लगता है कि मुस्लिमों में केवल पुरुषों का ही खतना किया जाता है। लेकिन महिलाओं को भी इस दर्द से गुजरना पड़ता है। लेकिन कारण दोनों के अलग हैं। पुरुषों का जिस कारण से खतना किया जाता है उसके बारे में कभी और बात करेंगे। क्योंकि आज महिलाओं के खतना के बारे में बात करनी हैं। महिलाओं का खतना उर्फ Female Genital Mutilation एक ऐसी प्रथा है, जिसका उद्देशय महिलाओं और लड़कियों की Sexual Freedom पर अंकुश लगाना है। दुनियाभर में हर साल हजारों महिलाएं और बच्चियां इस कुप्रथा के कारण समय से पहले काल के गाल में समा जाती हैं। जो इस प्रथा से सकुशल गुजरकर बच जाती हैं उन्हें इसका दर्द जिंदगी भर याद रहता है।
पिछले साल एक महिला ने लिखा था नरेंद्र मोदी को पत्र
इस मुस्लिम महिलाओं का ख़तना कुप्रथा से छुटकारा पाने के लिए पिछले साल एक महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुल पत्र लिखा था। उस पत्र के कुछ अंश…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
स्वतंत्रता दिवस पर आपने मुस्लिम महिलाओं के दुखों और कष्टों पर बात की थी। ट्रिपल तलाक को आपने Anti-Women कहा था, सुनकर बहुत अच्छा लगा था।
ट्रिपल तलाक अन्याय है, पर इस देश की औरतों की सिर्फ़ यही एक समस्या नहीं है। मैं आपको Female Genital Mutilation के बारे में बताना चाहती हूं, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है। जो बच्चियां अपने शरीर से जुड़े निर्णय नहीं ले सकती, उन्हें इस अमानवीय प्रथा का शिकार बनना पड़ता है। इन बच्चियों के शरीर को जो नुकसान पहुंचता है, उसे किसी भी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इस प्रथा के खिलाफ़ पूरी दुनिया में आवाज़ उठाई जा रही है।
मैं इस ख़त के द्वारा आपका ध्यान इस भयानक प्रथा की तरफ़ खींचना चाहती हूं।
सुप्रीम कोर्ट ने माना असंवैधानिक
अब इस कुप्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने भी असंवैधानिक माना है। इस कुप्रथा पर एक PIL डाली गई थी जिसका खुद सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दाऊदी बोहरा मुस्लिम संप्रदाय की महिलाओं का ख़तना, संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविल्कर और जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की बेंच के शब्दों में,
Female Genital Mutilation, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और ये बच्चियों को मानसिक आघात पहुंचाता है।
मानसिक आघात
सुप्रीम कोर्ट ने इसे बकायदा मानसिक आघात कहा है। इस शब्द से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह केवल आपको शारीरिक तौर पर ही पीड़ित नहीं करता बल्कि मानसिक आघात भी पहुंचाता है।
अब तक इसे केवल असंवैधानिक बताया गया है। इसलिए इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ख़तना करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी। इस मामले में सुनवाई अभी चल रही है और आगे कोई भी जरूरी जानकारी आने पर हम आपको उसकी अपडेट जरूर देंगे। क्योंकि यह एक ऐसी समस्या है जिससे हर किसी को निजात पाना समाज की बढ़ोतरी के लिए ही जरूरी है।