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धार्मिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों ने भी मचाया था तहलका

कोर्ट के फैसलें

कोर्ट के फैसलें – तलाक का मामला पिछले कई महीनों से कोर्ट में चल रहा है।

कभी कोर्ट का हस्तक्षेप करने से मना करने से लेकर पिछले दिनों फैसला देने तक। जब-जब यह मामला उठा समाज की फिजाओं में बदलाव भी देखा गया। कोर्ट ने 3/5 की बहुत से तीन तलाक पर फैसला तो दे दिया लेकिन इसने कई सवाल खड़े कर दिये। कई लोग इस फैसले के बाद से ही खुशिया मना रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं। यह कोर्ट का पहला फैसला नहीं था जिसने समाज में तहलका मचा दिया। कोर्ट ने कुछ ऐसे निर्णय पहले भी दिए है जिसने समाज की फिजा में गर्मी घोल दी थी।

हम आपको ऐसे ही कोर्ट के फैसलें है जिन्हों ने समाज में तहलका मचाया था.

कोर्ट के फैसलें – 

1 – हिंदू महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार

हिंदू धर्म में पहले महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं दिया जाता था। पिता की संपत्ति में पहले सिर्फ बेटों का ही हक होता था लेकिन कोर्ट में यह मामला गया और अंत में कोर्ट ने माना कि पिता के जायदात में जितना हक बेटे का है उतना ही बेटी का भी होना चाहिए। कोर्ट ने 1956 के हिंदू उत्तराधाकारी कानून में संसोधन किया और 9 सितम्बर 2005 में हिंदू महिलाओं को भी उनके पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार दिया।

2 – हाजी अली दरगाह में महिलाओं का प्रवेश

मुम्बई के समुद्र के बीच में स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित था जिसके खिलाफ बहुत सी महिलाओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां भी कोर्ट और दरगाह प्रबंधकों के बीच विरोध देखने को मिला। बम्बई हाई कोर्ट ने 26 अगस्त 2012 को महिलाओं को दरगाह के अंदर प्रवेश की अनुमति दे दी जिसके खिलाफ दरगाह ने सुप्रीम कोर्ट तक गए पर महिलाओं को मिले इस अधिकार को वह खत्म नहीं करवा पाए।

3 – नदियों के किनारे मूर्ती विसर्जन

हिंदू धर्म में मूर्ती विसर्जन की परंपरा है लेकिन इससे नदियों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कई बार इस मामले को लेकर सरकार को आगाह किया लेकिन धर्म के नाम कोई भी सरकार ठोस कदम उठाने से हिचकती रही। मामला कोर्ट में गया और कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी।

ये है कोर्ट के फैसलें – इन मामलों में कोर्ट ने अपना निर्णय वर्तमान स्थिति को देखते हुए दिया लेकिन इसपर समाज में विराधाभास बना रहा। कोर्ट के आगे अब तक धर्म के ठेकेदारों को झुकना पड़ा लेकिन तीन तलाक में खुद कोर्ट के जजों में विराधाभास है। ऐसे में कोर्ट ने गेंद अपने पाले से सरकार के पाले में फेंक दिया है। अब सरकार इसपर क्या रुख इख्तयार करती है इस पर सब की नजर है।