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वो मराठी फ़िल्में जो कमाई में हिन्दी फ़िल्मों से कम नहीं

बात अगर रीजनल सिनेमा की जाए तो कमाई और लोकप्रियता के मामले में साउथ इंडियन फ़िल्में हिन्दी फ़िल्मों को भी टक्कर देती है.

साउथ इंडियन दर्शक तो वहां की फ़िल्मों के इतने दीवाने है कि वहां के स्टार्स के मंदिर तक बना डालते है और हिन्दी फ़िल्मों से ज्यादा अपनी मातृभाषा में बनी फ़िल्मों को देखना  पसंद करते है.

बात अगर मराठी फ़िल्मों की हो तो यहां अच्छे कलाकारों की कमी नहीं है. लेकिन बजट, भव्यता और तकनीक के मामले में  मराठी फ़िल्में थोड़ी पीछे छूट जाती है. ऐसी धारणा सी बन गई है कि मराठी फ़िल्मों में  ज्यादा पैसा लगाना थोड़ा जोखिम का काम है क्योंकि ये फ़िल्में साउथ की फ़िल्में की तरह मुनाफा नहीं देती.

कुछ दिनों में ये धारणा टूटी है.

कई  फ़िल्मों ने तो कमाई के मामले में बॉलीवुड फ़िल्मों की बराबरी कर ली है.

आईए देखते है मराठी फ़िल्में जो कमाई में हिन्दी फ़िल्मों से कम नहीं

 1)   लई भारी-

ये फ़िल्म रितेश देशमुख के लिए मुनाफ़े का सौदा साबित हुई साल 2014 में रिलीज हुई इस फ़िल्म ने 40 करोड़ रुपए की कमाई की. इस फ़िल्म की लागत 8 करोड़ रुपए ही थी. इस फ़िल्म को हिट बनाने के लिए उन्हें कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी सलमान खान भी इस फ़िल्म में गेस्ट रोल में नजर आए थे.

2)   टाईमपास-

इस फ़िल्म के पहला भाग  साल 2014 में रिलीज हुआ था.  महज 2 करोड़ के बजट में बनीं इस फ़िल्म ने पूरे 33 करोड़ की कमाई की थी. इस फ़िल्म का संगीत भी हिट हुआ था.

3)   टाईमपास 2-
महज 6 करोड़ के बजट में बनीं इस फ़िल्म ने 40 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

4)   दुनियादारी-

ये फ़िल्म सिर्फ 2.5 करोड़ में बनी थी इस फ़िल्म ने निर्माताओं को पूरे 32 करोड़ रुपए कमा कर दिए थे.

5)   मी शिवाजीराजे भोंसले बोलतोए-

ये फ़िल्म साल 2009 में रीलिज हुई थी. इस फ़िल्म में महेश मांजरेकर ने शिवाजी महाराज की भूमिका में जान डाल दी. इस फ़िल्म ने पूरे 25 करोड़ की कमाई कर के दी.

6)   डॉक्टर प्रकाश बाबा आमटे द रियल हीरो-

ये फ़िल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी. इस फ़िल्म में नाना पाटेकर और सोनाली कुलकर्णी जैसे मंझे हुए कलाकारों ने काम किया था. ये दोनों ही मराठी के साथ ही हिन्दी सिनेमा प्रेमियों के लिए परिचय के मोहताज नहीं है.

7)   काकस्पर्श-

इस फ़िल्म ने पूरे 14 करोड़ की कमाई की थी. ये फ़िल्म महज 1.5 करोड़ की लागत में बनीं थी. इस फ़िल्म में सचिन खेड़कर ने मुख्य भुमिका निभाई थी. ये फ़िल्म साल 1930 से लेकर 1950 के बैकड्राप पर बनीं थी.

8)    नटरंग-

इस फ़िल्म में मराठी के साथ साथ हिन्दी फ़िल्मों में पहचान बना चुके अतुल कुलकर्णी ने मुख्य भुमिका निभाई थी. ये फ़िल्म नृत्य कला और उसके लिए कलाकारों के किए परित्याग पर आधारित थी. इस फ़िल्म ने पूरे 12 करोड़ रुपए कमा कर दिए थे. इस फ़िल्म की सफलता में इसके संगीत का महत्वपूर्ण योगदान था.

ये थी वो फ़िल्में जो की कहानी, संगीत और अभिनय के मामले में बॉलीवुड की किसी फ़िल्म से कम नहीं थी, हालांकी  स्माल बजट में बेहतरीन फ़िल्म कैसे बनाई जाए इसकी एक बेहतरीन मिसाल थी. धीरे धीरे ही सही मराठी फ़िल्में भी दक्षिण भारतीय फ़िल्मों की तरह मुनाफ़े का सौदा साबित होंगी ऐसी उम्मीद की जा सकती है.

Shilpa Rounghe

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