शिक्षा…
पेरेंट्स और किसी चीज पर ध्यान दे या ना दे, अपने बच्चो की शिक्षा पर बहोत ध्यान देते है.
शिक्षा ही है जो बच्चो को समाज में उठने बैठने के काबिल बनाती है इसलिए आज की युवा पीढी भी शिक्षा हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
लेकिन कभी कभी ऐसे रोचक किस्से सुनने को मिलते है, जिसको समझना और मानना मुश्किल हो जाता है.
अब वर्मा परिवार को ही देख लीजिए. इस परिवार के तीनो बच्चे उम्र से पहले ही इतना पढ़ चुके है कि लोग इन्हें सुपर इंटेलिजेंट बच्चें कहते है.
वर्मा परिवार को तो जैसे सरस्वती देवी का सबसे ज्यादा आशीर्वाद प्राप्त है, क्योकि आश्चर्य करने वाली ऐसी बात मैंने तो आजतक नहीं सूनी.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में रहने वाले 48 साल के तेज़ बहादुर वर्मा सिर्फ 8वी पास है और माँ छाया देवी तो स्कूल गई ही नहीं, फिर भी इनके तीनो बच्चो ने अपने पेरेंट्स के साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी ऊँचा किया.
वर्मा परिवार के ये सुपर इंटेलिजेंट बच्चें जिन्हों ने बाली उम्र में ही ज्यादा पढ़ाई करने का रिकॉर्ड बनवाया है.
आइए हम बात करते है उनके बारे में जो सुपर इंटेलिजेंट बच्चें है.
1 – अनन्या वर्मा
तेज बहादुर वर्मा की सबसे छोटी बेटी अनन्या वर्मा का जन्म 1 दिसंबर 2011 को हुआ. पिता बताते हैं कि सिर्फ ढाई साल की उम्र में श्री रामचरितमानस और गीता का पाठ करने लगी. अब मात्र साढ़े चार साल की अनन्या वर्मा ने वो कर दिखाया है जो किसी ने नहीं किया. अनन्या को अपने उम्र के हिसाब से 1ली कक्षा में होना चाहिए लेकिन आपको जानकर अचरच होगा कि अनन्या ने नौंवीं कक्षा में दाखिला लिया है. वह अंग्रेजी में मार्को पोलो का पाठ जितने फर्राटे से पढ़ती है, उतना ही हिन्दी में रसखान के दोहे पढ़ लेती है. साढ़े चार साल की अनन्या का 9वी कक्षा में दाखिला ने सभी को हैरानी में डाल रखा है.
2 – सुषमा वर्मा
अनन्या की बड़ी बहन सुषमा वर्मा का जन्म 7 फरवरी, 2000 में हुआ. सुषमा ने सात वर्ष तीन महीने में हाई स्कूल की पढ़ाई की और 10 साल की उम्र में ही इंटरमीडिएट भी कर लिया. साल 2013 में स्नातक के बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्र्वविद्यालय में एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में गोल्ड मेडल हासिल किया. जिस उम्र में सुषमा वर्मा को 10वी कक्षा में होना चाहिए उस उम्र में सुषमा वर्मा पीएचडी कर रहीं है.
3 – शैलेन्द्र वर्मा
वहीं बड़े भाई शैलेंद्र वर्मा ने भी 10 साल की उम्र में एसएससी कर लिया और 14 साल की उम्र में बीसीए कर लिया. अब शेलेन्द्र बेंगलुरू में नौकरी कर रहे है.
पिता कहते है कि हम ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है लेकिन अपने बच्चो की पढ़ाई के लिए हमने बहोत मेहनत की है. बच्चो को जिन चीजो की ज़रूरत पडी, हमने लाकर दी है.
ये थे सुपर इंटेलिजेंट बच्चें – उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इन तीनो बच्चो को सुपर इंटेलिजेंट की उपाधी दे रखी है.
कुछ लोग इसे सरस्वती का आशीर्वाद भी कहते है. लेकिन मेरा मानना है कि माँ सरस्वती भी उन पर अपनी कृपा बरसाती है जो कड़ी मेहनत करने से पीछे नहीं हटते.
वैसे आप क्या कहेंगे ?
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