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दंगों में इस सुपर कॅाप को गुजरात का डीजीपी बनाना चाहते थे आडवानी लेकिन…

केपीएस गिल

वर्ष 2002 में जिस समय गुजरात में सांप्रदायिक दंगे चल रहे थे, उस दौरान तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी एक ऐसा फैसला करने जा रहे थे जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं थी.

गोधरा में ट्रेन में लोगों को जलाए जाने के बाद गुजरात में भड़के दंगों के दौरान तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने राज्य में हालात काबू करने के लिए पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल को गुजरात का पुलिस प्रमुख की बात कही थी.

इस बात को खुलासा केपीएस गिल ने अपनी पुस्तक में भी किया है.

केपीएस गिल

आपको बता दे कि कंवर पाल सिंह गिल को भारत में सबसे खूंखार आतंकवाद यानी पंजाब के आतंकवाद को पराजित करने का श्रेय है. उनकी इसी काबलियत को देखते हुए ही लाल कृष्ण आडवाणी उनको गुजरात का डीजीपी बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति हो जाने के कारण ऐसा करना मुमकिन नहीं था.

बताया जाता है ऐसा करने के पीछे एक कारण ओर भी था, वह यह कि केपीएस गिल को नियुक्त करने से हिंदुओं और मुस्लिम समुदाय में भी सकारात्मक संदेश जाता. यही वजह थी कि बाद में उन्हें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का सुरक्षा सलाहकार बनाया गया था.

आपको बता दे कि केपीएस गिल ने गुजरात दंगों के लिए मोदी को जिम्मेदार नही माना था. बल्कि उन्होंने हालात को समझने में पुलिस की बेबसी के साथ पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कठघरे में खड़ा किया था. गौरतलब है कि गुजरात दंगों के समय गुजरात ने पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र से पुलिस बल मांग की थी लेकिन यहां की कांग्रेस सरकार ने पुलिस बल देने से मना कर दिया था.

पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख केपीएस गिल ने गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि इन दंगों के लिए मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. दंगों के दौरान मोदी से पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए गिल ने बताया था कि मोदी ने उनसे कहा था कि अथक प्रयासों के बाद भी वह दंगा रोकने में नाकाम हैं.

अर्थात विपक्ष से लेकर मीडिया तक दंगों के कारणों और उसका आंकलन करने के बजाए केवल मोदी पर निशाना साधने तक सीमित रहा. यह देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है.

देश जहां दंगों का दंश झेलने पर मजबूर है वहीं राजनेता इसके कारणों में न जाकर वोट बैंक बढ़ाने में जुटें हैं.

बताते चलें कि आज भी आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी समस्या पर केपीएस गिल की राय काफी महत्व रखती है.

वर्ष 2006 में केपीएस गिल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के सुरक्षा सलाहकार के तौर पर वहां गए थे और उन्होंने वहां माओवाद और नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए.

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