सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थी.
वो उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनी और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थी.
पंजाब में जन्मी सुचेता कृपलानी ने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेता जेबी कृपलानी से शादी कर ली, मगर उनकी शादी आसान नहीं थी. घर वालों के साथ ही महात्मा गांधी ने भी सुचेता कृपलानी की शादी का विरोध किया था.
दरअसल, जेबी कृपलानी यानी जीवतराम भगवानदास कृपलानी उम्र में सुचेता से 20 साल बड़े थे. जेबी जहां सिंधी परिवार से ताल्लुक रखते थे, वहीं सुचेता बंगाली परिवार से थीं. दोनों के उम्र और जन्मस्थल में भले ही अंतर था लेकिन असल में दोनों एक जैसे ही थे. जुनूनी और देश के लिए मर मिट जाने वाले. दोनों इतने गंभीर और आत्मविश्वासी थे कि उन्हें उनके अटल निश्चय से हिला पाना मुश्किल था. घर वालों के विरोध के बावजूद दोनों ने शादी करने का मन बना लिया.
जब गांधी को इस बात की भनक लगी वो हैरान रह गए कि उन्हीं के आश्रम में उन दोनों का प्यार फला-फूला और उन्हें इस बात की बिल्कुल भी भनक नहीं लगी. यहां तक की गांधी ने इस शादी पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि मैं अपने इतने गंभीर और दृढ़ साथी को नहीं खोना चाहता. यानी गांधी जी जेबी कृपलानी को खोना नहीं चाहते थे, उन्हें लगा कि शादी के बाद उनका ध्यान शायद आंदोलन से हट जाए, लेकिन सुचेता कृपलानी के जुनून को देखते हुए उन्होंने इस शादी को अपनी सहमति दे दी.
शादी के बाद कुछ नहीं बदला. सुचेता और जे.बी दोनों ने ही गांधी के दो हाथ बनकर सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन में उनका साथ दिया. आंदोलन के लिए सुचेता महिला मोर्चा को इकट्ठा किया और लड़ने के लिए उन्हें प्रेरित किया.
महिला संगठनों का नेतृत्व करते-करते सुचेता को राजनीति में दिलचस्पी हुई. हालांकि जे.बी नहीं चाहते थे कि वो राजनीति में शामिल हों. इसके बावजूद उन्होंने सुचेता की बहुत मदद की. साल 1940 में सुचेता ने ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का गठन किया. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. वो अंडरग्राउंड होकर सारी रणनीतियां तैयार करतीं, क्योंकि इस वक्त तक बड़े से बड़े स्वतंत्रता सेनानी गिरफ्तार हो चुके थे, सुचेता नहीं चाहती थीं कि वो खुलकर कुछ ऐसा करें जिससे उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाए. हालांकि बाद में उन्होंने जेल का मुंह देख ही लिया. वो एक साल तक जेल में रहीं.
सुचेता साल 1962 में कानपुर से उत्तरप्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनीं गईं. सन 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और करीब 3 साल 162 दिनों तक वह सीएम पद पर बनी रहीं. उनके कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में जो मामला था, वो कर्मचारियों की हड़ताल थी. लगभग 62 दिनों तक चली इस हड़ताल का सुचेता ने बखूबी सामना किया. सुचेता में एक बेहद ही मंझे हुए नेता की खूबी थी.
आज़ाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने वाली सुचेता कृपलानी ने 1971 में राजनीती से सन्यास ले लिया और 1974 में अपनी मृत्यु तक वह अकेले ही रहीं.