क्रिकेट के इस मौसम में हम आपके सामने भारतीय क्रिकेट से जुड़े कुछ अनसुने किस्सों को लेकर आये है।
आज हम आपके सामने टीम इंडिया के एक ऐसे बेहतरीन बॉलर की कहानी लेकर आए है जिसने कभी एक इनिंग में 9 विकेट लिए थे, लेकिन इस महान बॉलर के करियर का अंत बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण था।
उनके साथ कुछ ऐसा हुआ था कि उन्होंने देश ही छोड़ दिया था।
हम बात कर रहे है सुभाष गुप्ते की जिन्होंने भारत के लिए 1951 से 1961 के बीच क्रिकेट खेला था।
सुभाष गुप्ते के पास उच्च कोटि के लेग स्पिनर के सभी गुरे थे लेकिन उनकी दो तरह की गुगली गेंदे इतनी खतरनाक होती थी कि उन्हें खेल पाना बहुत ही मुश्किल होता था। सुभाष गुप्ते ने 36 टेस्ट मैच खेले जिनमे 75.7 के स्ट्राइक रेट से 149 विकेट झटके। गुप्ते का नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक पारी में 10 विकेट लेने वाले पहले भारतीय के रूप में भी दर्ज है। सुभाष गुप्ते ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ कानपुर में एक पारी में 9 विकेट लेकर सनसनी मचा दी थी। अगर विकेट कीपर नरेन तम्हा ने लांस गिब्स का कैच न गिराया होता तो एक पारी में सभी 10 विकेट लेने वाले सुभाष गुप्ते पहले भारतीय होते।
अपने समय में क्रिकेट की हर ऊंचाई को छूने वाले गुप्ते के महान करियर का अंत बड़ा ही बुरा रहा।
बात 1961 की है जब इंग्लैंड की टीम दिल्ली में मैच खेलने के लिए आई हुई थी। उस समय भारतीय टीम भी दिल्ली के एक होटल में ठहरी हुई थी। उस दौरे में सुभाष गुप्ते के रूममेट एजी कृपाल थे। कृपाल ने होटल रिसेप्शनिस्ट को फोन पर साथ में ड्रिंक पीने और बाहर घूमने का ऑफऱ दिया। जिसको रिसेप्शनिस्ट छेड़खानी समझकर इसकी शिकायत टीम मैनेजर से कर दी। गुप्ते और कृपाल को इस शिकायत के आधार पर अगले दो टेस्ट मैच के लिए टीम से हटा दिया गया।
बाद में जब कृपाल ने अपनी गलती मानी तो गुप्ते ने यह बात बोर्ड के सदस्यों को बताई। बोर्ड सदस्यों ने गुप्ते की बात यह कह कर नकार दी कि तुमने कृपाल को अपने कमरे का फोन क्यों इस्तेमाल करने दिया। जिसके जबाव में गुप्ते ने कहा कि वह वयस्क और समझदार पुरुष है मै उसे कैसे रोक सकता था? लेकिन गुप्ते का बार्ड सदस्यों पर कोई असर नही हुआ और उनको अगली सीरिज़ के लिए भी टीम में नहीं लिया गया।
अपने साथ हुए इस निराशाजनक व्यवहार से गुप्ते दुखी हो गये और बाद में निराश होकर गुप्ते देश ही छोड़कर चले गए।
वे शादीशुदा थे और उनकी पत्नी त्रिनिदाद में रहती थी। सुभाष गुप्ते फिर ताउम्र वहीं रहे और कभी लौटकर भारत नहीं आये। बाद में 72 वर्ष की उम्र में उनका 2002 में निधन हो गया।
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