बच्चो की इतनी जिद्द सही नहीं होती.

कहा जाता हैं कि राजहठ, तिरियाहठ और बालहठ के आगे भगवान् भी हार मना जाते हैं.

शुरुआत में हर माता पिता को अपने बच्चे की जिद्द बड़ी मासूम और प्यारी लगती हैं. दुनिया के हर पेरेंट्स यह चाहते भी हैं कि उनके बच्चे उनसे जो ख्वाहिश करे वह तुरंत उसे पूरी कर दे,

लेकिन कभी कभी बच्चो की इतनी जिद्द पूरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी समस्या बन जाती हैं.

अगर आप का बच्चा भी रोज़ नए खिलौने की ज़िद्द करे, दूध न पीने के लिए अड़ जाये या आपके ऑफिस जाने के  समय आप के साथ जाने के रोने लगे तब आप समझ जाईयें कि अब आप को उसकी ज़िद्द पर लगाम कसने की ज़रूरत हैं.

यह बात सच हैं कि बच्चों को उनकी ज़िद्द करने की आदत से मुक्त कराना इतना आसन काम नहीं हैं. लेकिन यदि आप उनके मनोविज्ञान को समझ पाए तो यह काम आप के लिए आसान भी हो सकता हैं.

मनोविज्ञान-

मनोविज्ञान यह कहता हैं कि बच्चों में ज़िद्दी होने के गुण कभी अनुवांशिक रूप से पाए जाते हैं. आप ने किसी ऐसे बच्चे को देखा ही होगा जो बचपन से ज़िद्दी हो लेकिन इसके लिए आप सिर्फ उस बच्चे को ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं, क्योकि ज़िद्द करने के ये जीन उसमे पहले से मौजूद है. इस बातो से यह मतलब न निकलियें कि बच्चे की हर मांग पूरी कर दी जाये लेकिन यह ज़रूर किया जा सकता हैं कि उनका ध्यान उस बात से या उस चीज़ से किसी दूसरी तरफ कर दिया जाये. यह काम पेरेंट्स के लिए बहुत धैर्य और सयिय्यम का होता हैं लेकिन इस तरह से बच्चों की ज़िद्द से छुटकारा पाया जा सकता हैं.

सख्ती-

इस बात के लिए आप को बच्चों से दोस्ती करनी ज़रूरी हैं. यह अक्सर देखा गया हैं यदि कोई पेरेंट्स अपने बच्चों के बहुत अधिक सख्त हैं तो बच्चे उनसे अपनी निजी बात तो क्या अपनी सामान्य बात तक नहीं बताते हैं और इसकी वजह होती हैं आवश्यकता से अधिक सख्ती. सख्ती ज़रूरी हैं लेकिन उतनी ही जितनी की बच्चे इसके कारण आप से छुपाने न लगे.

ओवर कैरिंग-

बच्चों के प्रति माता पिता का ओवर कैरिंग होना भी उन्हें ज़िद्दी बना देता हैं. दरअसल बच्चे माँ बाप द्वारा की जा रही परवाह को कभी कभी उनके प्रति अविश्वास समझते हैं और इस बात को गलत साबित करने के लिए बच्चे हर वो काम करते हैं जिन्हें उन पर रोक लगी होती हैं. बस यही बात आगे चल कर जिद्द में बदलती जाती हैं.

आज़ादी-

माँ बाप का बच्चों के प्रति फ़िक्रमंद होना बिलकुल सही हैं लेकिन यह ध्यान भी रखना होता हैं कि उनकी अपनी आज़ादी उनसे न छीन जाये. आज के समय में बच्चों को उनका स्पेस देना भी बहुत ज़रूरी हैं.

जिद्द को सही दिशा देना-

बच्चों के सामने यदि कोई चुनौती रखी जाये तो बच्चे खुद को साबित करने के लिए दिया गया काम पूरा करने के लिए अपना जी-जान लगा देते हैं. बस आप को भी यही बात ध्यान में रखकर उनकी जिद्द को सही दिशा दे कर उन्हें और रचनात्मक बना सकते हैं.

अब आप भी इन तरीकों से अपने बच्चों की जिद्द को सही दिशा देकर उनका भविष्य बेहतर बना सकते हैं.

Sagar Shri Gupta

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