मुंबई में अभी कुछ ही दिनों बाद गणेशोत्सव शुरू होने वाला हैं.
गणेशोत्सव की धूम पुरे भारत में होती हैं. हर एक व्यक्ति अपने घर में गणपति की स्थापना करता हैं और दस दिनों तक उनकी पूजा अर्चना करता हैं. लोगों के घरों के अलावा गणपति की स्थापना कई जगहों पर पंडालों में भी की जाती हैं और अपने गणपति पंडाल के लिए मुंबई पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं.
मुंबई में गणपति को पंडालो में स्थापित करने की प्रथा पुणे के बाद शुरू हुई थी और आज गणेशोत्सव इतने वृहद् रूप में मनाया जाता हैं कि पूरें भारत के कई क्षेत्र से लोग इसे देखने तो आते ही हैं साथ ही देश-विदेश से आये लोग भी इस उत्सव का लुत्फ़ उठातें हैं.
इस गणेशोत्सव की व्यवस्था करने के लिए मुंबई महानगरपालिका और मुंबई पुलिस कई दिन पहले से तैयारियों में लग जाती हैं और पुरे उत्सव के दौरान लोगो को किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचाने के लिए कड़े इंतजाम करती हैं.
चाकचौबंद व्यवस्था को मद्देनज़र रखते हुए प्रशासन गणपति पंडालों को पहले ही गणपति स्थापना की अनुमति लेने की औपचारिकता पूरी करने का आदेश दे देती हैं. लेकिन इस साल भी नियमों की अनदेखी के चलते कई पंडालों को प्रशासन की ओर से गणपति बैठाने की अनुमति नहीं दी गयी हैं जिसके चलते दर्जनों मंडल से जुड़े लोग परेशान हैं क्योंकि इस साल 17 सितम्बर से ही गणपति का उत्सव आरम्भ होने वाले हैं.
आपको बता दे कि पुरे मुंबई में गणेशोत्सव के लिए लगभग 1155 मंडल हैं जो गणपति कि स्थापना करते हैं, जिसमे से अभी केवल 267 पंडालों को ही प्रशासन की ओर से गणपति स्थापना की अनुमति मिल सकी हैं और बाकि मंडल अभी तक वार्ड कार्यालय और स्थानीय पुलिस ठाणे के चक्कर काटने पर मजबूर हैं.
प्रशासन और पुलिस ने इस बारे में कहा कि जिस भी गणेश मंडल की एनओसी फाइल लटकी हैं वह सिर्फ इसलिए क्योकि यह सारे मंडलों ने नियमो की पूर्ति नहीं की हैं. वही इन मंडल से जुड़े लोगों का कहना हैं कि गणपति मंडलों पर इतने अधिक नियम डाल दिए गए हैं कि सभी नियमो की पूर्ति करना संभव नहीं हैं. प्रशासन ने अभी कुछ दिन पहले हुए गोविंदा उत्सव पर भी इसी तरह के नियमों का बोझ लाद दिया था जिसके चलते हम सभी को बहुत सी तकलीफ उठानी पड़ी थी.
इसी तरह गणपति पर भी प्रशासन का कड़क रवैया लोगों के उत्साह को कम कर रहा हैं.
वैसे देखा जाये तो दोनों पक्षों की बातें अपनी अपनी जगह सही हैं क्योकि यदि नियमों की अनदेखी की गयी तो पुरे गणेशोत्सव में अव्यवस्था फ़ैल जाएगी और मंडलों को उत्सव की अनुमति नहीं मिली तो उत्सव का रंग फीका हो सकता हैं.
अब देखना यह हैं कि इतने कम दिनों में और कितने मंडलों को गणपति स्थापना की अनुमति मिल पाती हैं.
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