स्त्री पंचाग फल – पूराने ग्रंथों में स्त्रीयाें के स्वभाव में बारे मे जानने के लिए कई साधन बतलाएं गए थे।
उन्ही में से कुछ ऐसे साधानों को बतलाया जा रहा है, जिसको स्त्री पंचाग फल कहते है। इसमें अयन, ऋतु, माह एवं पक्ष में हुए उनके जन्म के अनुसार से स्त्रीयों के स्वभाव के बारे में समझा जा सकता है। इनमें पहला है अयन यानि की दक्षिणायान और उत्तरायान के अनुसार इसके बाद त्रतु, माह एवं शुक्ल-कृष्ण पक्ष के अनुसार।
आइये सबसे पहले जानते है स्त्री पंचाग फल क्या है और अयन के अनुसार स्त्रीयों का जन्म फल-
अयन-
उत्तरायन में जन्म लेने वाली स्त्रीयां सौभाग्य, रुप, गुण, पुत्र, धन, से सहित और घर के कार्य करने में माहिर होती है एवं दक्षिणायन में जन्म लेने वाली स्त्रीयों को रोग की बहुलता होती है। उनका स्वभाव कुछ क्रोधी होता है तथा उनके सुख में कमी रहती है।
ऋतुफल-
वसंत ऋतु
वसंत ऋतु में जन्म लेनेवाली स्त्री ह्रदय से पवित्र, धन पुत्र वाली, विद्वान, सुंदरी एवं संगीत को जानने वाली होती है।
ग्रिष्म ऋतु
ग्रिष्म ऋतु में जन्म लेने वाली स्त्री क्रोधी स्वभाव वाली, कामासक्त, लंबे शरीर वाली, चतुर, निपुण एवं बुद्धिमती होती है।
वर्षाऋतु-
वर्षाऋतु में जन्म लेने वाली स्त्रीयां रानीयों के समान सुख को प्राप्त करने वाली, पतिव्रता, गृहकार्य में दक्ष, गुण से भरपूर एवं शीतवान होती है।
शरदऋतु-
शरदऋतु में जन्म लेने वाली स्त्री सौभाग्य वती, धनवान, समर्थ, प्रसन्न रहने वाली एवं स्वामी की सेवा में समर्पीत रहती है।
हेमंतऋतु-
हेमंतऋतु में जन्म लेने वाली स्त्रीयों में यह लक्षण विद्यमान होते है। वह छोटी गर्दन वाली, भयभीत रहने वाली, मेहमानों के प्रति निष्ठुर एवं अप्रिय बोलने वाली होती है।
शिशिरऋतु-
शिशिरऋतु में जन्म लेने वाली स्त्रीयां सुंदर होती है। नेत्र मनोहारी होते है। सुशील एवं सभी कार्यो में दक्ष होने के बावजूद आलसी होती है। असावधान रहने वाली होती है।
हर माह के अनुसार स्त्री का व्यवहार-
चैत्र-इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री चतुर, क्रोधी स्वभाव की सुंदर होती है। धन एवं पुत्र वाली एवं सुखी जीवन वाली होती है।
वैशाख-इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री पति से प्रेम प्राप्त करने वाली, शुद्ध ह्रदय, बड़े नेत्रों वाली, धन संपदा से पूर्ण होने के बावजूद भी अल्पव्ययी होती है।
ज्येष्ठ – इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री धन, बुद्धि से युक्त सदा सफल रहने वाली, धार्मिक एवं पतिव्रता होती है।
आषाढ़ – इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री सरल ह्रदय एवं संपत्ति का स्वयं निर्माण करने वाली होती है। पैतृक संपत्ति से इन्हें लाभ नही होता। संतान एवं धन से पूर्ण होती है। क्रोधी भी होती है।
श्रावण – इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री स्थुल शरीर वाली, क्षमा एवं धर्म से युक्त होती है। वह सरल एवं सभी से समान व्यवहार करने वाली होती है।
भाद्र – भादव – सभी वस्तुओं की साज सवांर कर रखने वाली, कोमल ह्रदय, सर्वदा प्रसन्न रहने वाली तथा मिठा बोलने वाली होती है। प्रवृत्ति धार्मिक होती है।
आश्विन – इस माह में जन्म लेने वाली स्त्री शुद्ध ह्रदय, धन, पुत्र से संपन्न, सुंदर गुणों की भंडार होती है। वह ज्यादा बोलने वाली नही होती। हर कार्य में कुशल एवं सफल होती है।
कार्तिक – धन सुख से युक्त किंतु स्वयं की बड़ाई करने वाली होती है। वह मोलभाव करने में माहिर होती है तथा दिखावे के लिए धन का व्यय करने वाली होती है।
मार्गशीष – सभी से व्यवहार रखने वाली, मिठे भाषण करने वाली, पति सेवा से युक्त कार्यकुशल दूसरों के काम आने वाली एवं धर्म-कर्म से युक्त होती है।
पौष – इस माह में जन्म लेने वाली कन्या पुरुष समान स्वभाव वाली होती है। वह आजादी पसंद करने वाली एवं अपने अधिकारों को मांगने वाली होती है। अभिमानी एवं रोष युक्त होती है।
माघ – इस माह में जन्म लेने वाली कन्या स्पष्ट बोलने वाली होती है जो अप्रिय भाषा में होता है। धन, सौभाग्य एवं संतती से युक्त होती है। बुद्धि पूर्वक परिवार का पालन करने वाली होती है।
फाल्गुन – सभी प्रकार सद्गुणों से संपन्न, ऐश्वर्य से युक्त,बुद्धिमान एवं पति की प्रिय होती है। वह धनवान एवं कल्याण करने वाली होती है। वहां जहां भी रहे वहीं लक्ष्मी का वास होता है।
पक्ष के अनुसार फल-
शुक्ल पक्ष-
शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाली स्त्री सुदंर स्वभाव एवं सुदंर रुप वाली होती है। बुद्धिमति एवं सभी का कल्याण करने वाली होती है। वह माता-पिता एवं पति की आज्ञा का अनुसरण करने वाली होती है।
कृष्ण पक्ष-
इस पक्ष में जन्म लेने वाली स्त्री संघर्षरत रहने वाली एवं क्रोध करने वाली होती है। वह सभी को अपने विपरित समझती है तथा संतान का ध्यान रखने वाली होती है।
ये है स्त्री पंचाग फल जिसके अनुसार स्त्रियों का समझा जा सकता है.