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इस मंदिर में रावण की पूजा नहीं की तो शिव की पूजा हो जाएगी बेकार!

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कहा जाता है कि रावण ने कैलाश पर जाकर भगवान शिव की भीषण तपस्या की. तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने रावण को वरदान मांगने को कहा. वरदान में रावण ने भगवन शिव को अपने साथ चलने को कहा. भगवान् शिव ने शिवलिंग के रूप में रावण के साथ जाना स्वीकार किया. लेकिन शिव ने शर्त रखी कि कैलाश से लंका के रास्ते में अगर रावण ने शिवलिंग नीचे रखा तो शिव सदा के लिए वहीँ स्थापित हो जायेंगे.

रास्ते में थकान की वजह से रावण ने कुछ देर विश्राम किया और भूल से शिवलिंग नीचे रख दिया.तब से लेकर आजतक शिवलिंग वहीँ स्थापित है.

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