दुर्योधन को खलनायक के रूप में दिखाया जाता है. लेकिन दुर्योधन की सबसे बड़ी कहियत थी कि वो जिस पर भरोसा करता था उससे कभी नाराज़ नहीं होता था और उसे कभी गलत नहीं समझता था.
एक बार कर्ण और भानुमती शतरंज खेल रहे थे. दुर्योधन के आने की खबर सुन भानुमती जाने लगी. कर्ण ने उसको रोकने के लिए अपनी और खींचा तो भानुमती का आँचल फट गया और मोती बिखर गए. उसी समय दुर्योधन ने कक्ष में प्रवेश किया.
दुर्योधन को देख दोनों लज्जित हो सर झुकाकर खड़े हो गए.
लेकिन दुर्योधन ने अपनी पत्नी और अपने प्रिय मित्र पर ज़रा भी संदेह नहीं किया.