इतिहास

दुर्योधन की पत्नी का दिल आया था कर्ण पर और पति के मरने पर अर्जुन से किया विवाह जानिए महाभारत की अब तक अनसुनी रहस्यमयी कहानी!

महाभारत में हम सब द्रौपदी, कुंती,माद्री, गांधारी जैसे महिला पात्रों के बारे में ही ज्यादा जानते या पढ़ते है.

लेकिन आज जिस किरदार के बारे में हम आपको बताने जा रहे है उसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा. उस किरदार से मिलने से पहले आपसे एक सवाल?

“कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” ये कहावत तो आपने सुनी होगी. क्या आप बता सकते है इस कहावत में किस भानुमती की बात की जा रही है?

देखिये आगे की स्लाइड्स में भानुमती की रहस्यमयी कहानी ….

भानुमती कम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी. भानुमती का रूप ऐसा था कि स्वर्ग की अप्सराएँ भी फीकी पड जाए. राजा चंद्र्वर्मा ने भानुमती के विवाह के लिए स्वयम्वर का आयोजन किया. इस स्वयम्वर में दुर्योधन, कर्ण, जरासंध, शिशुपाल जैसे पराक्रमी राजा और वीर भानुमती से  विवाह की मंशा लेकर आये थे.

भानुमती का दिल जीता की और ने और भानुमती से विवाह हुआ किसी और का जानिए क्या था इसके पीछे राज़ 

जब स्वयम्वर स्थल पर भानुमती पूरे श्रृंगार के साथ आई तो वहां उपस्थित सभी राजाओं के मुंह खुले के खुले रह गए.

ऐसा अप्रितम सौन्दर्य ना किसी ने देखा था ना किसी ने सोचा था. जब दुर्योधन की नज़र भानुमती पर पड़ी तो दुर्योधन का मन मचल उठा और उसने ठान लिया कि भानुमती से विवाह वही करेगा.

लेकिन क्या भानुमती को भी दुर्योधन पसंद था पढ़िए अगली स्लाइड में...

भानुमती वरमाला लेकर चली, दुर्योधन को लगा कि भानुमती उसके गले में वरमाला डालेगी लेकिन वो दुर्योधन को देखकर आगे बढ़ने लगी.

ये देखकर दुर्योधन क्रोधित हो गया और भानुमती को पकड कर जबरन उससे माला अपने गले में डलवा ली. बहुत से राजाओं ने इसका विरोध किया तो दुर्योधन ने उन्हें युद्ध की चुनौती दे डाली.

लेकिन युद्ध के लिए दुर्योधन ने ऐसी चुनौती दी जिसे सुनकर जयद्रथ को छोड़ सभी शूरवीर पीछे हट गए.

जानिए क्या थी वो चुनौती?

दुर्योधन ने सभी योद्धाओं को कर्ण से युद्ध करने की चुनौती दी. इस बात को सुनकर बहुत से राजा पीछे हट गए. कुछ ने युद्ध की चुनौती स्वीकार की लेकिन उन्हें कर्ण ने पलक झपकते ही हरा दिया. उसी समय जयद्रथ ने कर्ण को युद्ध करने की चुनौती दी.

कर्ण और जयद्रथ के बीच भीषण युद्ध हुआ. दोनों एक से बढ़कर एक योद्धा थे. करीब 21 दिन चले इस युद्ध के अंत में कर्ण ने जयद्रथ को हरा दिया. जयद्रथ के जीवन की ये पहली हार थी. इस युद्ध के बाद कर्ण का रण कौशल देखकर जयद्रथ कर्ण का मित्र बन गया और अपने राज्य का एक भाग कर्ण को उपहार में दे दिया.

भानुमती के अपहरण को दुर्योधन ने भीष्म का उदाहरण देकर सही ठहराया. इस प्रकार भानुमती और दुय्रोधन का विवाह संपन्न हुआ. लेकिन कहते है ना नियति अपना रंग दिखा देती है. जिस प्रकार दुर्योधन ने भानुमती को भगाकर शादी की थी उसी प्रकार दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा के साथ भी कृष्ण के पुत्र साम्ब ने भागकर शादी की थी.

क्या किया जब दुर्योधन ने देखा अपनी पत्नी को कर्ण के साथ आपतिजनक अवस्था में…

दुर्योधन को खलनायक के रूप में दिखाया जाता है. लेकिन दुर्योधन की सबसे बड़ी कहियत थी कि वो जिस पर भरोसा करता था उससे कभी नाराज़ नहीं होता था और उसे कभी गलत नहीं समझता था.

एक बार कर्ण और भानुमती शतरंज खेल रहे थे. दुर्योधन के आने की खबर सुन भानुमती जाने लगी. कर्ण ने उसको रोकने के लिए अपनी और खींचा तो भानुमती का आँचल फट गया और मोती बिखर गए. उसी समय दुर्योधन ने कक्ष में प्रवेश किया.

दुर्योधन को देख दोनों लज्जित हो सर झुकाकर खड़े हो गए.

लेकिन दुर्योधन ने अपनी पत्नी और अपने प्रिय मित्र पर ज़रा भी संदेह नहीं किया.

ये घटना बताती है कि दुर्योधन कर्ण और अपनी पत्नी पर कितना भरोसा करता था. कथाओं में ये भी कहा जाता है कि भानुमती ना सिर्फ बहुत रूपवान थी अपितु शारीरिक रूप से भी बलिष्ठ थी. कभी कभी खेल खेल में वो दुर्योधन के साथ द्वंद्व करती थी और उसे हरा भी देती थी.

महाभारत  युद्ध में अभिमन्यु ने भानुमती के पुत्र लक्ष्मण का वध किया था वहीँ दुर्योधन को भीम ने मारा था.

इन सबके बाद भी दुर्योधन की मृत्यु के बाद भानुमती ने अर्जुन से विवाह कर लिया था.

दुर्योधन, अर्जुन और कर्ण के साथ ऐसे अनोखे सम्बन्ध होने की वजह से ही ये कहावत प्रचलन में आई “कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा “

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

ढल गई जवानी जिस्म के सौदे में ! अब क्या होगा बूढ़ापे का !

वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…

6 years ago

पेट्रीसिया नारायण ! 50 पैसे रोजाना से 2 लाख रुपये रोजाना का सफ़र!

संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…

6 years ago

माता रानी के दर्शन का फल तभी मिलेगा, जब करेंगे भैरवनाथ के दर्शन !

वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…

6 years ago

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…

6 years ago

रमज़ान में खुले हैं जन्नत के दरवाज़े ! होगी हर दुआ कबूल !

साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…

6 years ago

चिता की राख से आरती करने पर खुश होते हैं उज्जैन के राजा ‘महाकाल’

उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…

6 years ago