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कांगड़ा का काठगढ़ महादेव… चंद्रमा के साथ आकर बदलता है अर्धनारीश्वर का

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मंदिर का पुनुरुद्धार

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राजगद्दी सँभालने के बाद जब रणजीत सिंह यात्रा कर रहे थे तो काठगढ़ आकर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने इस पुराने मंदिर का फिर से निर्माण कराया और एक भव्य मंदिर बनवाया.  समय निकाल कर वो हमेशा इस मंदिर में दर्शन के लिए आते थे.

इस मंदिर का शिवलिंग दो भागों में बंटा हुआ है. कहा जाता है कि ये शिव और पार्वती का रूप है. चंद्रमा की कलाओं के अनुसार इस शिवलिंग का आकार घटता बढ़ता रहता है. एक समय ऐसा आता है जब शिवलिंग के दोनों भागों का अंतर आसानी से दिखाई देता है और फिर एक समय ऐसा भी आता है कि दोनों भागों का अंतर नगण्य हो जाता है.

काठगढ़ महादेव का ये अनोखा मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है. हर साल शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में तीन दिनों का विशाल उत्सव होता है. इस उत्सव में शामिल होने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु आते है.

पर्यटन के लिहाज़ से भी ये स्थान बहुत ही खूबसूरत है. यहाँ कि प्राकृतिक छटा मनमोह लेती है.

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