इस गाँव में मकर सक्रांति के बाद पूर्णिमा को एक मेला लगता है. यह मेला एक महीने तक चलता है. कहा जाता है कि इस मेले में भूत प्रेत बाधा से पीड़ित लोग आते है और यहाँ आकर भूतों से मुक्त हो जाते है. यह मेला एक बाबा की याद में लगता है, कहा जाता है कि करीब 300 साल पहले उन बाबा ने यहाँ जीवित समाधी ली थी. उन बाबा में भूतों को वश में करने की शक्ति थी और आज भी मेले में आये हुए भूत बाधा से पीड़ित लोगों को बाबा स्वस्थ कर देते है.