सोमनाथ: 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग.
सोमनाथ मंदिर हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.
ऋग्वेद के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम चंद्रमा ने किया था इसीलिए इसे सोमनाथ कहा जाता है.
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बंदरगाह के निकट ये मंदिर स्थित है. ये मंदिर खुद में इतिहास का एक महत्वपूर्ण पृष्ठ है. सोमनाथ मंदिर अपने समय में सबसे वैभवशाली मंदिर था शायद इसीलिए इस मंदिर को बहुत बार तोड़ा और लूटा गया.
आज़ादी के बाद सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया सरदार वल्लभ भाई पटेल ने. समुद्र किनारे बसा ये मंदिर न सिर्फ एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है अपितु ये एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. देश विदेश से लाखों पर्यटक हर साल यहाँ आते है.
इस मंदिर के प्रसिद्ध होने का एक कारण और भी है वो ये कि मान्यता के अनुसार ये कहा जाता है कि सोमनाथ के नज़दीक ही भगवन श्री कृष्ण ने अपने प्राण त्यागे थे.
मंदिर से करीब 2 किलोमीटर दूर वो स्थान माना जाता है जहाँ कृष्ण ने अपने प्राण त्यागे थे, उसी स्थान पर एक बहुत ही सुंदर कृष्ण मंदिर भी है.
इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है समय और आक्रमणकर्ताओं की मार इस प्राचीन मंदिर को बहुत बार सहनी पड़ी है. इस मंदिर का निर्माण करीब 2100 साल पहले किया गया था. उसके बाद सातवीं सदी में जीर्ण शीर्ण हो चुके मंदिर का पुर्निर्माण कराया गया. पहली सिंध के गवर्नर ने इसे नष्ट करवाया उसके बाद राजा नाग्भात्त ने इसका जीर्णोद्धार करवाया.
अरब यात्री अल बरुनी ने सोमनाथ मंदिर के वैभव की गाथा को दुनिया भर में पहुँचाया. अल बरुनी के वर्णन से प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने इस मंदिर पर हमला कर न सिर्फ इस मंदिर को लूटा और ध्वस्त किया अपितु मंदिर में पूजा कर रहे सभी श्रद्धालुओं का भी क़त्ल कर दिया.
इसके बाद एक बार फिर मंदिर का पुर्निर्माण किया राजा भीम और भोज ने पर दिल्ली पर मुग़ल सल्तनत आने के बाद इस मंदिर को एक बार फिर तोड़ा गया.
सत्रहवीं सदी में औरंगजेब ने एक बार फिर मंदिर को लूटा और तोड़ा. कहा जाता है आगरा के किले में लगे द्वार इसी मंदिर के देव द्वार है.
स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मंदिर का पुर्निर्माण कराया और सन 95 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने सोमनाथ मंदिर को देश को समर्पित किया.
मंदिर तो पहले भी कई बार विभिन्न कारणों से ध्वस्त हुआ था पर शिवलिंग को पहली बार महमूद गजनवी ने खंडित किया था.
इतनी बार खंडित होने के बाद भी हर बार इस मंदिर का पुर्निर्माण हुआ. मंदिर धवस्त करने वाले ख़त्म हो गए पर ये मंदिर आज भी अपनी जगह एक नए रूप में खड़ा है. समुद्र की तेज़ लहरों के पास बने इस मंदिर की छटा ही निराली है. वैसे तो यहाँ साल भर श्रद्धालु आते रहते है पर चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है इन त महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है. इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है. इस संगम में स्नान का विशेष महत्व है।
अगर आप शिव भक्त है तो आपको ज़रूर सोमनाथ के दर्शन करने चाहिए और अगर आप शिव भक्त ना भी हो तो एक पर्यटक के रूम में इस स्थान पर जाना चाहिए. तेज़ लहरों वाला समुद्र और प्राकृतिक सौन्दर्य आपका मन मोह लेगा.
ये थी कहानी सोमनाथ मंदिर की, बार-बार ध्वस्त करने के बाद आज भी खड़ा है ये ज्योतिर्लिंग.