रामेश्वरम के मंदिर में आस पास नौ शिवलिंग और है जिनके बारे में कहा जाता है कि इनकी स्थापना विभीषण ने की थी.
जब लंका नरेश पराक्रमबाहू ने इसका निर्माण कार्य करवाया तो इस मंदिर में केवल शिवलिंग की स्थापना की गयी, देवी स्वरुप की नहीं इसीलिए इस मंदिर को निसंगेश्वर मंदिर कहा जाता है.
रामेश्वरम मंदिर के भिन्न भिन्न भागों का निर्माण भिन्न भिन्न लोगो द्वारा किया गया है जिसमे राजा, मदुरै के धनिक शामिल है.
रामेश्वरम ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से अपितु कला और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है.
रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे बड़ा गलियारा है. इस मंदिर में अनगिनत खम्बे है जो दिखने में एक जैसे लगते है पर अगर करीब से देखा जाये तो हर खम्बे पर की गयी कलाकृति अलग है. रामेश्वरम मंदिर में अलग अलग तरह के पत्थरों का उपयोग किया गया है. कमाल की बात ये है कि यहाँ आस पास कोई पर्वत नहीं जहाँ से ये पत्थर लाये जा सके.
कहा जाता है ये विशालकाय पत्थर श्रीलंका से लाये गए थे.