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महाकाल की महागाथा : ज्योतिर्लिंग जहाँ पूरी होती है सब इच्छाएं

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महाकाल की महागाथा

महाकालेश्वर या महाकाल भारत के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है.

उज्जैन स्थित इस मंदिर की बहुत मान्यता है. हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग यहाँ दर्शनार्थ आते है. इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन भारत के प्राचीन ग्रंथ पुराणों और महाभारत में भी है. कालिदास की अमर कृति मेघदूत में भी उजैन और महाकाल मंदिर का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है.

इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था ये तो किसी को ठीक ठीक किसी को नहीं पता पर यवनों के आक्रमण के समय इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था.

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इल्तुतमिश के शासनकाल में महाकाल और अन्य कई बड़े मंदिरों को नष्ट किया गया था. सत्रहवीं सदी में जब मराठा साम्रज्य ने मालवा पर अधिपत्य किया तब इस मंदिर का  पुनरुद्धार किया गया और शिवलिंग की स्थापना की गयी.

वैसे तो इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ साल भर रहती है पर महाशिवरात्रि और श्रावण मास के सोमवार पर यहाँ विशेष रूप से अधिक भीड़ रहती है. ये मंदिर एक किले की तरह है जिसके चारों तरफ परकोटा है.

मंदिर के पास ही एक जल स्त्रोत है जिसे कोटितीर्थ कहा जाता है, इस स्त्रोत के बारे में कहा जाता है कि जब इल्तुतमिश ने इस मंदिर को तोड़ा था तो शिवलिंग को इसी जगह फेंका था.

इस मंदिर के जीर्णोद्धार में राजा भोज का भी बड़ा योगदान रहा है.

महाकाल शक्तिपीठ– महाकाल मंदिर को एक शक्तिपीठ भी माना जाता है. शक्तिपीठ वो स्थान होते है जहाँ देवी के अंग कट कट कर गिरे थे. कहा जाता है यहाँ देवी के होठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था. इस शक्तिपीठ को महाकाली कहा जाता है.

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कहा जाता है कि उज्जैन पर महाकाल की विशेष दृष्टि है, यहाँ के हर निवासी पर महाकाल की कृपा मानी जाती है.

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार उज्जैन सप्तपुरी में गिना जाता है, जिसका प्राचीन नाम अवंतिका था.

महाकाल के बारे में मान्यता है कि यहाँ सच्चे मैन से मांगी गयी मुराद ज़रूर पूरी होती है. उज्जैन के लोगों के लिए महाकाल सिर्फ एक मंदिर नहीं ये अब उनके जीवन का एक हिस्सा बन गया है.

महाकाल मंदिर के प्रांगण में एक और शिव मंदिर है, इसे स्वप्नेश्वर कहा जाता है और यहाँ की देवी को स्वप्नेश्वरी. इस मंदिर में मांगी गयी मन्नत ज़रूर पूरी होती है. शिवरात्रि के मौके पर हर साल यहाँ दर्शनार्थियों की अपार भीड़ होती है. सोमनाथ की तरह इस मंदिर को भी कई बार तोड़ा गया. इसका वर्तमान स्वरूप कई बार पुरुद्धार और नए निर्माणों के बाद आया है.

कुछ प्राचीन ग्रंथों में ये भी कहा गया है कि प्रलय के समय महाकाल का तीसरा नेत्र खुल जाएगा.

ये थी महाकाल की महागाथा : ज्योतिर्लिंग जहाँ पूरी होती है सब इच्छाएं.