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केदारनाथ – दैविक दर्शन और अलौकिक शांति देने वाला देवस्थान

kedarnath

केदारनाथ ना सिर्फ एक ज्योतिलिंग है अपितु केदारनाथ की गिनती चार धामों और पंचकेदार में भी होती है.

केदारनाथ के अलावा बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मिलकर चार धाम माने जाते है. इनकी यात्रा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पंचकेदार के बारे में कथा प्रसिद्ध है कि पांडव पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव के दर्शन चाहते थे पर शिव उन्हें दर्शन देना नहीं चाहते थे.

धुन के पक्के पांडव शिव को खोजते खोजते केदार तक पहुँच गए जहाँ शिव बैल का रूप धारण कर छुपे हुए थे. भीम ने जब दो पहाड़ों के बीच पैर रखा तो जंगल के सभी जानवर पैर के नीचे से चले गए सिर्फ भगवन शिव को छोड़कर. भीम ने जब भागते हुए बैरल रूपधारी  शिव को पकड़ना चाह तो वो धरती में गायब हो गए, भीम के हाथ सिर्फ बैल की पीठ आई. पांडवों की हठ और भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उसी स्थान पर रहने का निर्णय किया.

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इसीलिए केदारनाथ में बैल की पीठ के रूप में शिव की पूजा की जाती है. केदारनाथ के साथ पंचकेदार के अन्य मंदिर पशुपतिनाथ, तुंगनाथ, मदमेश्वर और कल्पेश्वर है. ये सभी स्थान बहुत पवित्र तीर्थस्थल है.

केदारनाथ के दर्शनार्थ जाना हो तो समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए सर्दी के दिनों में ये पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है इसलिए नवम्बर माह से लेकर मध्य अप्रेल तक मंदिर के द्वार बंद रहते है. अप्रेल मध्य से मंदिर का रास्ता यात्रियों के लिए खोला जाता है.

अगर असीम शांति और अलौकिक सौन्दर्य का अनुभव करना है तो एक बार केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा ज़रूर करे.

केदारनाथ जाकर अहसास होता है कि क्यों उत्तराखंड के इस भाग को देवभूमि कहा जाता है.

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