कहने को तो ये वेश्याएं है पर इनके भी परिवार होते है. दिन रात अपने जिस्म का सौदा करके भी इन्हें कोई सुख सुविधा नहीं मिलती.
कहने को तो वेश्यावृत्ति का व्यापार बहुत बड़ा है पर अधिकतर पैसा वेश्याओं को नहीं उनके मालिकों, दलालों की जेबों में जाता है. वेश्याओं को तो बस मिलता है कुछ पैसा और ढेर सारा अपमान और परेशानियाँ.