विनोद और मिश्रा दो प्यादे थे जिन्होंने राजन की खबर पहुंचाई थी. लेकिन इन दोनों के पीछे था शरद शेट्टी. दाऊद का विश्वासपात्र जो एक व्यापारी के रूप में दुबई में रहकर दाऊद का काम देखता था. दाऊद के बिज़नस से लेकर पैसों का लेनदेन और ऐसे ही तमाम काम शरद शेट्टी के ही जिम्मे थे.
राजन अब दाऊद को भी उसी दर्द का अहसास करवाना चाहता था जो दाऊद ने उसके गैंग को तोड़कर राजन को दिया था. शरद शेट्टी की दुबई के खुलेआम हत्या वो भी उस जगह जो दाऊद के व्यापार का अड्डा था. शेट्टी की मौत दाऊद के लिए बहुत बड़ा झटका था. शेट्टी के साथ ही ना जाने कितने व्यापारिक संबंध, पैसों के ठिकाने सब के सब खो गए.इस मास्टर स्ट्रोक से राजन ने दाऊद की कमर ही तोड़ दी
और फिर 20 साल के इंतज़ार के बाद