मुंबई धमाकों के बाद भी राजन ने शिवसेना को पत्र लिख कर खरी खरी सुनाई थी जब शिवसेना के मुखपत्र सामना में दाऊद को देशद्रोही कहा गया था. राजन दाऊद के लिए अभी भी ईमानदार था पर राजन अब ये भी समझने लगा था कि कम्पनी के अंदर ही उसे ना सिर्फ पॉवर से दूर करने कि अपितु मारने तक की साजिश चल रही है.
और फिर एक दिन राजन किसी को भी बिना बताये कंपनी छोड़ कर चला गया और अपना अलग गैंग बना लिया. बरसों के साथी राजन और दाऊद अब एक दुसरे के दुश्मन बन चुके थे. दोनों गैंग की दुश्मनी का नतीजा था ये हुआ कि मुंबई की सड़कें खून से रंगने लगी.
दाऊद की तरफ से शकील ने राजन को मारने की कई बार कोशिश की. जिनमे सबसे सफल कोशिश 2000 में थाईलैंड में की गयी थी.
जानिए कैसे मौत को चकमा देकर भागा राजन