दाऊद के की D -कंपनी में राजन का रुतबा बढ़ता ही जा रहा था. राजन अब एक तरह से इस कंपनी का CEO था. राजन की तरक्की और दाऊद का उस पर भरोसा देखकर बहुत से लोग राजन से जलने लगे थे.
जलने वालों में खास थे छोटा शकील और टाइगर मेमन. इन दोनों ने दाऊद के कान भरने शुरू किये और इन्हें सुनहरा मौका मिला 92 में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद.
पाकिस्तान के साथ मिलकर 93 के ब्लास्ट की प्लानिंग से राजन को दूर रखा गया. शकील और टाइगर ने दाऊद को अपनी बैटन में फंसा कर ये भरोसा दिलाया कि अब ये मामला धर्म का है और ऐसे में एक हिन्दू पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
मुंबई अंडरवर्ल्ड में ये पहला मौका था जब निर्णय धर्म के आधार पर लिया गया था. अब राजन को D- कम्पनी में छुपे दुश्मनों से खतरा महसूस होने लगा था.
आगे पढ़िए दोस्ती का अंत और एक दुश्मनी की शुरुआत जिसका एक एक पन्ना रंगा था खून से