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इस गांव में सालों पहले द्रौपदी ने की थी छठ पूजा

छठ पूजा

देशभर में दीपावली के बाद छठ पूजा की रौनक फैली हुई है।

रांची में छठ पूजा कुछ अलग ही अंदाज़ में मनाई जाती है। रांची के नगड़ी गांव की छठ पूजा की रीति बड़ी अनोखी है। यहां नदी या तालाब में अर्घ्‍य नहीं दिया जाता बल्कि गडढ़े में पूजा होती है और उसे चुआ कहते हैं।

छठ पूजा पर इस रीति के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है। कहा जाता है कि अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव झारखंड के इसी हिस्‍से में रहे थे। जब पांडवों को प्‍यास लगी तो द्रौपदी ने अर्जुन से इसका कुछ उपाय खोजने को कहा।

तब अपने भाईयों की प्‍यास बुझाने के लिए अर्जुन ने अपने धनुष बाण से तीर मारकर जमीन से पानी निकाला। इसी पानी के उद्गम पर द्रौपदी सूर्य देव को अर्घ्‍य दिया करती थी। कहते हैं कि महाभारत में जो एकचक्रा नगरी की बात कही गई है वो यही नगरी है।

इस गांव से थोड़ी दूरी पर हरही गांव भी है जिसे भीम का ससुराल कहा जाता है।

इस कथा से पता चलता है कि छठ पूजा का पर्व 5000 हज़ार साल पहले भी महत्‍वपूर्ण हुआ करता था एवं यह पर्व पौराणिक महत्‍व रखता है।

छठ पूजा पर विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए व्रत रखती हैं और पूजन के दौरान सूर्य देव को अर्घ्‍य देती हैं। इस पूजा में सूर्य को अर्घ्‍य देने का बहुत महत्‍व है। सर्य को सफलता का कारक कहा जाता है और सर्य देव को अर्घ्‍य देकर महिलाएं अपने पति के लिए सफलता की कामना करती हैं।

इस साल भी देशभर में छठ पूजा की धूम देखने को मिल रही है। ये त्‍योहार यूपी और बिहार राज्‍यों में अधिक मनाया जाता है जबकि भारत के अधिकतर हिस्‍सों में पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाता है।