सिंकदर उन राजाओं में से एक था जिसने पूरी दुनिया पर अपनी हुकूमत जमाई थी। उसे पूरी दुनिया पर अपना कब्जा करना था और एक समय ऐसा भी आया जब उसका ये सपना पूरा हो गया।
सब कुछ जीतने के बाद सिंकदर की ऩजर भारत पर थी। सिकंदर ने भारत के एक फकीर के बारे में सुना था। वो उस फकीर से मिलना चाहता था। इस फकीर के बारे में मशहूर था कि वो किसी से भी अपनी बात मनवा लेता था।
दुनिया को जीतने के गुरूर में चूर जब सिकंदर इस फकीर से मिलने पहुंचा तो उस वाक्ये को सिकंदर जीवनभर नहीं भूल पाया होगा। फकीर के पास जाते ही सिकंदर का घमंड दो मिनट में मिट्टी में मिल गया।
उस फकीर का नाम डायोजिनीस था। कहा जाता है कि ये फकीर हमेशा ध्यानमग्न रहता था। जब सिकंदर उस फकीर के पास पहुंचा तो उसने सिकंदर से एक सवाल किया कि तुम क्या कर रहे हो और आगे क्या करना चाहते हो। फकीर ने कहा कि वो एशिया का महाद्वीप जीतने जा रहा है क्योंकि वो पूरी दुनिया को जीतना चाहता है।
तक फकीर ने एक सवाल पूछा कि समस्त संसार जीतकर क्या करोगे। इस पर सिकंदर कहता है कि वो इसके बाद आराम करेगा। तब फकीर ने कहा कि इसके लिए जीतने की क्या जरूरत है। आराम को तुम अभी भी कर सकते हो।
फकीर की बात सुनकर सिकंदर को गुस्सा आ गया और वो बोला तुम शायद मुझे जानते नहीं हो। मैने पूरे संसार को जीता है। फकीर ने कहा तुम महान नहीं हो सकते, तुम एक साधारण व्यक्ति हो। अगर तुम महान हो तो मेरी एक बात का जवाब दो।
फकीर ने कहा कि अगर तुम रेगिस्तान में फंस जाओ और वहां पानी की एक बूंद भी ना हो और तुम प्यास से मरने वाले हो तो कोई तुमहारे पास एक गिलास पानी लेकर आए तो पानी के बदले उसे तुम क्या दोगे।
बहुत सोचने के बाद सिकंदर ने कहा कि वो उसे अपना आधा राजपाट दे देगा। फकीर ने कहा कि अगर उसने पानी ना दिया तो, तब सिकंदर ने कहा कि वो अपनी जान बचाने के लिए अपना सारा राजपाट उसे दे देगा।
तब फकीर ने कहा कि तुम्हारा राजपाट एक गिलास पानी की कीमत का भी नहीं है फिर इसके लिए इतना परेशान क्यों हो।
फकीर की बात सुनकर सिकंदर का घमंड टूट गया और वो उसके पैरों में गिरकर अपनी गलती की मांफी मांगने लगा।