बॉलीवुड में ऐसे कई नाम हैं, जिन्हें सफलता का स्वाद तब मिला, जब इनको महिला से सच्चा प्यार हुआ और प्यार का लक इनके काम आया.
इनके जीवन में लक्ष्मी का आगमन हुआ और सफलता इनके कदम चूमने लगी और आगे चलकर वही महिला इनकी पत्नी बनी है.
आइये आपको जानकारी देते हैं, ऐसे की कुछ स्टार लोगों की जिनकी जिंदगी में सच्चे प्यार ने आते ही इनकी जिंदगी बदल दी.
सुनील दत्त
सुनील दत्त 1957 में ‘मदर इंडिया’ में अभिनय करने से पहले चार और फिल्म में काम कर चुके थे. 1955 में बॉलीवुड के अन्दर कदम रखने वाले सुनील जी एक बड़ी हिट फिल्म का इंतजार कर रहे थे. तकदीर में नर्गिस का साथ मिलने के बाद असली कामयाबी का तोहफा मिलना लिखा था. 1957 में नर्गिस का प्यार इनको मिला और दोनों ने 11 मार्च 1958 को शादी कर ली. शादी के बाद सुनील जी को फिल्मफेयर अवार्ड मिले और एक से एक हिट फ़िल्में इन्होनें की.
शाहरुख़ खान
हीरो बनने के लिए शाहरुख़ वर्ष 1991 में मुंबई आ गये या ये भी कह सकते हैं कि इनका प्यार इनको मुंबई ले आया. वैसे तो शाहरुख़ ने एक के बाद कई सफलताए हासिल की, लेकिन उनकी सफलता में उनकी पत्नी गौरी खान का महत्वपूर्ण योगदान है.
जब शाहरुख़ की उम्र 19 साल की थी, उन दिनों दिल्ली में एक दोस्त के यहाँ पार्टी के अन्दर इनकी मुलाक़ात गौरी से हुई और गौरी के कारण ही खान मुंबई आ गये. 1991 में दोनों नई शादी कर ली. यहाँ तक शाहरुख़ खान कोई सुपरस्टार नहीं थे, पर शादी के बाद जैसे इनकी तकदीर ही बदल गयी और एक के बाद एक हिट फिल्मों का इनका दौर शुरू हो गया.
अक्षय कुमार
अक्षय कुमार जहाँ एक साधारण परिवार थे, वहीँ टिंवकल खन्ना बॉलीवुड के एक अच्छे परिवार में सी थीं. भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की बेटी टिंवकल खन्ना की बेटी जब अक्षय कुमार की लाइफ में आईं तो इनके ख़राब दिनों का दौर खत्म हुआ. इससे पहले इनको कोई भी एक अच्छा अभिनेता नहीं मानता था. साल 2001 में जब फिल्म ‘इंटरनेशनल खिलाड़ी’ शूटिंग चल रही थी, तब वहां इनके प्यार की कहानी शुरू हुई.
17 जनवरी 2001 को दोनों ने शादी कर ली और 2001 से आप अक्षय जी की सफलता को खुद देखते आ रहे हो.
फरहान अख्तर
फरहान का निकाह एक हेयर स्टाइलिस्ट अधुना भावनी अख्तर के साथ हुआ, जो अपने भाई के साथ बी ब्लंट सैलून चला रही हैं. फरहान की दो बेटियाँ अकीरा और शाक्य हैं. वर्ष 1997 में फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ में निर्देशक पंकज पराशर के सहायक के तौर पर काम करने के बाद, तीन साल के लिए एक टेलीविजन प्रोडक्शन हाउस को अपनी सेवा दी. फिल्म दिल चाहता है बन नहीं पा रही थी. आमिर खान स्क्रिप्ट के लिए वक़्त नहीं दे पा रहे थे. फरहान ने वर्ष 2001 में फिल्म ‘दिल चाहता है’ के साथ हिंदी सिनेमा में लेखन और निर्देशन करियर की शुरुआत की. यहीं इनकी मुलाक़ात हुई, अधुना भावनी से, यहाँ से फरहान की किस्मत चमकी और ‘दिल चाहता है’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का उस साल का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. अब शादी के बाद फरहान के सितारे बुलंदियों में चमकने लगे हैं.
अब आप ही बोलिए कि हम कैसे ना बोलें की आदमी की किस्मत और कामयाबी के पीछे औरत का हाथ नहीं होता है. बॉलीवुड में भी आप देख ही रहें हैं कि अगर प्यार सच्चा मिल जाए तो कामयाबी कैसे और कितनी जल्दी मिल जाती है.
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