धर्म और भाग्य

दुनिया का इकलौता मंदिर जहाँ फूल नहीं बल्कि पत्थर चढ़ाया जाता है !

मंदिर जहाँ पत्थर चढ़ाया जाता है – अपने मन की मुराद मांगने इंसान केवल एक ही जगह जाता है.

उसके अलावा उसे और कहीं से कुछ नहीं मिलता. वो जगह है भगवान का दरबार, जो जिस धर्म को मानता है उसी के ईश्वर के यहाँ अपनी फ़रियाद लेकर जाता है.

इंसान भी बहुत अजीब है. अगर उससे कोई कह दे कि भगवान् को ज़हर चढाने से आपका भला होगा, तो वो उसे भी करने को राज़ी हो जाएंगे. उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न हो जाएंगे और उनके मन की बात सुन लेंगे. आमतौर पर भगवान को लोग मिठाई, फूल, फल आदि का भोग लगाते हैं और उन्हें अर्पित करते हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा है, जहाँ पर भगवान् इन सब चीज़ों को स्वीकार नहीं करते.

आपने कभी नहीं सोचा होगा की पत्थर के मंदिरों में बैठे ईश्वर को फूल के अलावा भी कोई चीज़ पसंद आ सकती है?

भगवान को भला पत्थर कैसे पसंद आ सकता है. ये सोचकर लोग हैरान हो जाते हैं. लोगों को लगता है कि ये कोई झूठी बात है. उनसे कोई मज़ाक कर रहा है. लेकिन ये सच है. एक ऐसा मंदिर जहाँ पत्थर चढ़ाया जाता है.  इस धरती पर जहाँ भगवाना को पत्थर चढ़ाया जाता है, क्योंकि उन्हें वही पसंद है.

ये मंदिर भारत में ही है. भारत के दक्षिण में ये मंदिर बना है. यहाँ पर लोगों की भीड़ भी होती है, लेकिन हाथ में फूल लेकर नहीं बल्कि पत्थर लिए. यह मंदिर बेंगलुरु-मैसूर नैशनल हाईवे के मांड्या शहर में स्थित है. किरागांदुरू-बेविनाहल्ली रोड पर बना कोटिकालिना काडू बसप्पा मंदिर पत्थर चढ़ाए जाने के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ अगर आप दर्शन करने जाते हैं तो आपको प्रसाद के तौर पर पत्थर चढाने होंगे. आप किसी भी साइज़ का पत्थर भगवान को समर्पित कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि आप एक बार में केवल 3 या 5 पत्थर ही भगवान को चढ़ा सकते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि वहां पर भगवाना के मंदिर के बाहर पत्थरों की दुकान होगी. क्योंकि जब भगवान् को पत्थर ही चढ़ाना है तो फूल माला कौन बेचेगा.

इस मंदिर में भगवान् और भक्त के बीच कोई पंडित नहीं हैं.

यहाँ पर आने वाले श्रद्धालु अपनी पूजा स्वयं करते हैं. उन्हें न तो पंडित को पैसे देने होते और न ही लम्बी लम्बी लाइन में खड़े होकर घंटों अपनी बारी का इंतज़ार करना होता है. वहीँ स्थानीय लोगों ने जानकारी दी है कि, आसपास के लोग और मांड्या तालुक के लगभग सभी गांव वाले रोजाना इस मंदिर में पत्थर चढाने के लिए आते हैं. अगर आपकी मनोकामना पूरी हो गई तो आपको इसके लिए भगवान् को मिठाई चढाने की ज़रुरत नहीं होती है. बस, आपको अपने खेतों या अपनी जमीन से पत्थर ला कर भगवान को चढ़ाना होता है.

ऐसा करके आप भगवान के प्रति अपनी श्रध्दा व्यक्त करते हैं. दुनिया का ये इकलौता मंदिर होगा जहाँ लोगों को पैसे खर्च करने की ज़रुरत नहीं. न तो प्रसाद लेने ली ज़रूरत और न ही माला-फूल. आमतौर पर हर मंदिर के बाहर दुकानें होती हैं और वो एक फूल को भी १० रूपए में बेचते हैं.

ये है वो मंदिर जहाँ पत्थर चढ़ाया जाता है – इस मंदिर की ही तरह अगर दुनिया के सारे मंदिर हो जाएं तो गरीब भी गर्व से हर मंदिर की चौखट पर पहुँच सकेगा.

Shweta Singh

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