हाल ही में एप्पल दुनिया की पहली हज़ार अरब (एक ट्रिलियन) डॉलर की सार्वजनिक कंपनी बनी है और कंपनी को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में सबसे बड़ा योगदान स्टीव जॉब्स का ही रहा है, भले ही वो अब इस दुनिया में नहीं है, मगर मरने से पहले ही वो एप्पल को तकनीक की दुनिया की सबसे मशहूर बना गए थे.
स्टीव जॉब्स की पहचान न सिर्फ़ एप्पल के सह-संस्थापक के रूप में है, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया का सबसे बड़ा नाम भी माना जाता है, मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया का ये सफल बिज़नेसमैन बेहद खराब पिता था, ये बात किसी और ने नहीं, बल्कि उनकी अपनी बेटी ही कह रही है.
स्टीव जॉब्स प्रोफेशनल लाइफ में जितने सफल थे पर्सनल लाइफ में उतने ही असफल. हालांकि उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में लोगों को कम ही जानकारी है, मगर हाल ही में उनकी बेटी लीज़ा ब्रेनन ने अनपी किताब में पिता से अपने रिश्तों को लेकर जो खुलासे किए हैं वो वाकई चौंकाने वाला है. इसे जानकर शायद आप स्टीव जॉब्स की उतनी इज्ज़त न करें जितनी की अब तक करते आए हैं.
लीज़ा ब्रेनन जॉब्स ने पिता के साथ अपने रिश्तों को लेकर ‘स्मॉल फ्राई’ नाम से किताब लिखी है. लीज़ा के मुताबिक, उनके पिता ने उन्हें पहले नहीं अपनाया था. स्टीव जॉब्स ने एक बार लीज़ा से कहा था कि उनमें से टॉयलेट सी बदबू आती है. लीज़ा ब्रेनन ने अपने किताब में बताया है कि कैसे उनके पिता ने कई सालों तक उन्हें नहीं अपनाया था. आखिरी वक्त में स्टीव ने जब उन्हें स्वीकार किया, तब भी पूरी तरह से बेटी से जुड़ नहीं पाए. बाप-बेटी के बीच हमेशा एक फासला बना रहा.
लीज़ा ने बताया कि उनका जन्म एक फार्म हाउस में हुआ था. उनकी मां क्रिशन बैनन स्टीव और पिता जॉब्स उस वक्त 23 साल के थे, हालांकि, पहले मां ने कभी किसी को स्टीव जॉब्स के बारे में नहीं बताया था. लीज़ा के मुताबिक, स्टीव जॉब्स मां की मदद नहीं करते थे. इसलिए घर का खर्च चलाने के लिए उनकी मां घरों में बर्तन धोने का काम करती थीं. हैरानी की बात है कि दुनिया को एप्पल जैसी कंपनी देने वाला शख्स अपनी पार्टनर के प्रति इतना रूड था.
लीज़ा की किताब के मुताबिक, 1980 में कैलिफोर्निया की कोर्ट ने मेरे पिता को हमें गुजारा भत्ता देने को कहा, तब उन्होंने एफिडेविट में झूठ बोला कि वो मेरे पिता नहीं है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि वो कभी पिता बन ही नहीं सकते. हालांकि, डीएनए टेस्ट में साबित हो गया कि स्टीव ही लीसा ब्रेनन के पिता हैं. जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 500 डॉलर प्रति महीने के गुजारा भत्ते के अलावा सोशल इंश्योंरेंस का खर्च उठाने के लिए भी कहा.
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए लीज़ा बताती हैं कि, ‘स्कूल में मैंने गर्व से सबको बताया कि मेरे पिता स्टीव जॉब्स हैं. मेरे दोस्तों ने पूछा कि वो कौन हैं? तब मैंने कहा था, ‘वो बहुत मशहूर हैं उन्होंने पर्सनल कंप्यूटर बनाया है. मेरे पिता एक आलीशान घर में रहते हैं. बड़ी सी गाड़ी चलाते हैं. जब भी उनकी गाड़ी पर कोई खरोंच आती है तो वो नई गाड़ी खरीद लेते हैं.
इतना ही नहीं लीज़ा ने यह भी बताया कि उनके पिता कितने सख्त थे. एक वाकये का जिक्र करते हुए वो कहती हैं, एक दिन मैंने जॉब्स से कहा कि जब पोर्श उनके किसी काम की नहीं रहेगी तो मैं ले सकती हूं. उन्होंने कहा, “बिलकुल नहीं. तुम्हें कुछ भी नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं. उनकी आवाज में कड़वाहट थी. मेरे पिता बिल्कुल भी दरियादिल नहीं थे. न पैसों, न खाने और न ही शब्दों के मामले में.’’
लीज़ा के इस खुलासे से तो यही लगता है कि ज़रूरी नहीं एक सफल इंसान अच्छा इंसान भी हो और खासतौर पर पति व पिता के रूप में भी वो सफल रहे.