देशभर में चल रहा आरक्षण कहीं ना कहीं देश को अपने आरक्षण की आग में जला रहा है।
आरक्षण की शुरुआत भीमराव अंबेडकर ने की थी, लेकिन उस दौरान उनके इस आरक्षण का कारण था देशभर में जातिवाद के नाम पर चल रहे भेदभाव को खत्म करना। वक्त बदल गया, दौर बदल गया, लेकिन यह आरक्षण अब और ज्यादा बढ़ता जा रहा है। देश में जहां एक और बराबरी की सोच आती जा रही है, वहीं दूसरी और यह आरक्षण उस सोच को और बढ़ावा दे रहा है, जोकि इसके बढ़ने का कारण जरूर बन सकती है। आरक्षण की मांग कर दूसरे तबके के लोग खुद ही अपने आप को इस समाज में नीचा स्थान देने में तुले है।
आरक्षण कोई भी हो… जातिय या महिला आरक्षण… दोनों में से किसी को सहीं नहीं ठहराया जा सकता है। क्योकि जब भी कोई आरक्षण की मांग करता है, वह खुद को खुद ही इस समाज में हीन दर्शाता है। बता दे जब भी किसी आरक्षण के नाम पर आरक्षण की आग लगी, धरने प्रदर्शन हुए, तब-तब देश भर में दंगे हुए। लड़ाइयां हुई, धरना प्रदर्शन हुए, कई जगह काम रुके तो कई जगह धारा 144 लागू की गई।
बीते 70 सालों में भारत में कई तरह के बदलाव आए, लोगों ने कई तरह के अलग बदलावों की मांग भी की। खाने पीने से लेकर रहन-सहन, लाइफस्टाइल आज पूरे भारत में सब कुछ बदल गया है। लेकिन जो नहीं बदला है… वो है आरक्षण। देश भर में बदलाव करने वाले लोग आज जब आरक्षण के नाम पर देश को नहीं बदलना चाहते, तो ऐसे लोगों पर कहीं ना कहीं तरस आता है। लोग बदलाव की मांग करते हैं लेकिन आरक्षण में नहीं…. आखिर क्यों?
आरक्षण की आग – आरक्षण के नाम पर बीते कुछ सालों में कई धरना प्रदर्शन हो चुके हैं कई क्षेत्रों में लड़ाईयां भी हुई हैं। इस दौरान कई लोगों की मौत भी हुई, कई घर उजड़ गए, लेकिन ना धरना बंद हुआ ना आरक्षण की मांग। बात जाट आरक्षण, पटेल आरक्षण, महिला आरक्षण, या फिर SC/ST कोटे की हो। इन मांगों पर जब-जब प्रदर्शन हुए तब-तब देश में बड़े स्तर पर जान मान की हानि हुई।
आखिर कौन है यह सवर्ण सेना? और क्यों करना चाहते हैं ये भारत बंद?
एससी एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ सवर्ण संगठन का भारत बंद करना बेहद असरदार रहा। इस भारत बंद की मुहिम में एक संगठन मुख्य रूप से उभर कर सामने आया यह संगठन था सवर्ण। मात्र 2 सालों में 50,000 से अधिक सदस्यों के साथ देशभर में फैला यह सवर्ण संगठन गरीब सवर्णो के लिए आर्थिक आधार और आरक्षण की मांग कर रहा है। सवर्ण सेना का गठन बिहार के जहानाबाद में रहने वाले भागवत शर्मा ने साल 2017 में किया था, इस संगठन के संयोजक और अध्यक्ष भी भागवत ही हैं।
सवर्ण सेना की मांग है कि SC/ST एक्ट के संसोधन के खिलाफ और आरक्षण के विरूद्ध भारत बंद किया था। इसी कम्र में वह इसका विरोध आगे भी जारी रख सकते है। इसी के साथ उनकी यह भी मांग है कि आरक्षण के तहत पहले काफी फर्जी मुकद्दमें दर्ज किए जाते थे, और उन पर बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान सुना दिया जाता था। तो इस पर रोक लगे और बदलावों के अनुसार अब कोर्ट में सुनवाई के बाद ही सजा के प्रावधान को लागू किया जाए।
आरक्षण की आग – आरक्षण के नाम पर सरकार की यह नीतियां कहीं देश में भेदभाव का कारण ना बन जाये। इसलिए सरकार को अब खुद इस पर कोई बड़ा निर्णय लेना होगा और इसकी समाप्ति पर सोचना होगा। वरना वो दिन दूर नहीं जब आरक्षण के नाम पर एक बार फिर देश पिछड़ेपन का शिकार होगा।
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