इंडिया एक ऐसा देश हैं जहा सचिन तेंदुलकर को ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है और क्रिकेट को धर्म.
पर सवाल ये है कि जब भी खेल की बात हो तो क्रिकेट ही हमारे ज़ेहन में क्यों आता हैं?
क्रिकेट से जुड़ी हर बात, चाहे वह मैच की हो या मैच खेलने वाले उन प्लेयर्स की या उन प्लेयर्स से जुड़ी उनकी पर्सनल लाइफ की, हमारी नज़र हर बात पर गढ़ी होती हैं.
और…. मीडिया में भी ज्यादातर ऐसी ख़बरों को बाकायदा सुर्ख़ियों में जगह मिलती हैं.
अगर इंडियन क्रिकेट टीम के हालिया परफॉरमेंस पर एक नज़र दौड़ाएं तो हमें निराशा ही हाथ लगेगी. हाल ही में हुए वर्ल्डकप में इंडिया को सेमिफाइनल मैच में मिली हार के बाद शायद ही कोई अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला हैं. बांग्लादेश जैसी टीम से पूरी सीरिज़ गवाने के बाद तो कप्तान धोनी और टीम इंडिया के स्टार प्लेयर विराट कोहली को अभी ज़िम्बौवे में चल रही वनडे सीरीज़ से बाहर ही कर दिया गया हैं.
लेकिन इन सब बुरी ख़बरों से अगर ध्यान हटा कर अच्छी ख़बर की ओर देखे तो स्पोर्ट्स की कई ओर केटेगरी भी हैं जहा अन्य भारतीय खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.
अभी विंबलडन में तीन खिताबों में भारतीय ही आगे रहे हैं.
सानिया मिर्ज़ा पहली ऐसी भारतीय महिला खिलाड़ी बनी हैं जिसने विंबलडन ग्रैंड स्लैम जीता हैं. सानिया ने यह ख़िताब सिव्स प्लेयर मार्टिना हिंगिस के साथ हासिल किया हैं.
वहीँ भारतीय टेनिस के जाने-माने नाम लीएंडर पेस ने अपना 16 ग्रैंड स्लैम जीता हैं.
विंबलडन के बॉयज केटेगरी में सुमित नागल ने अच्छे खेल का सिलसिला बरक़रार रखते हुए जीत हासिल की हैं.
टेनिस के अलावा इंडियन हॉकी ने भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड हॉकी लीग में सेमी फाइनल की दौड़ तक पहुच कर चौथे स्थान में अपनी जगह बनायीं है.
और… चाइना में चल रही एथलेटिक्स गेम की एशियाई चैंपियनशिप में इंदरजीत सिंह ने शॉटपुट थ्रो में गोल्ड मैडल जीता हैं.
इन सब स्पोर्ट्स के अलावा भी और कई ऐसे खले है जिसमे भारतीय अपना परचम लेहरा रहे हैं.
पंजाब के सतनाम सिंह पहले भारतीय बास्केटबॉल प्लयेर बने हैं जिन्हें अमेरिका में होने सबसे बड़ी बास्केटबाल चैंपियनशिप NBA में खेलने का मौका मिला हैं.
क्या अन्य स्पोर्ट्स में खिलाड़ियों द्वारा किये इतने अच्छे परफोर्मेंस मीडिया में क्रिकेट न्यूज़ की तरह ही सुर्खियाँ बनने योग्य नहीं हैं कि हम हर वक़्त केवल क्रिकेट का ही नाम जपते रहते हैं.
आये दिन मीडिया में क्रिकेट से जुड़ी ख़बरें चलाते रहते हैं चाहे उस न्यूज़ का खेल से वास्ता हो या ना हो.
सोचने वाली बात ये हैं कि पिछले कई दिन से क्रिकेट से जुड़ी ख़बरें खेल के लिए कम और विवादों के लिए ज्यादा लाइम लाइट में रही हैं.
बाकि खेलों के साथ इस तरह के सौतले बर्ताव से उन खेलों को और उससे जुड़े खिलाड़ियो को तो नुकसान हैं ही पर उन युवाओं को भी हैं जिन्हें बाकि स्पोर्ट्स कम प्रभावित लगते हैं.
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