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धरती की इस ख़ास जगह पर गिरता है सेटेलाईट से लेकर दूसरा अन्तरिक्ष कचरा ।

अन्तरिक्ष कचरा

अन्तरिक्ष कचरा – आधुनिकता के इस दौर में जहाँ हम भारतवासी ग्लोबल इक्विटी की तरफ बढ़ रहे हैं तो वही दूसरी तरफ मुख्य रूप से भारत के लिए समावेशी विकास की कल्पना पूरी होने का नाम नहीं ले रही है।

विकास नाम का फल प्राप्त करने के लिए आज हमने वह सारी दहलीज लांघ ली है, जो प्रकृति ने बड़े ही फुर्सत से बनाई थीं।

कभी प्रकृति का विकराल रूप कही जाने वाली आपदाएं (जैसे- उत्तराखंड के जंगलों में आग, तेलंगाना के जंगलों में आग, शिमला में पानी की समस्या, दिल्ली में आजकल रोज आने वाला धुल भरा तूफ़ान इत्यादि) आज आम हो गई है और मज़े की बात तो ये है कि हम अब भी आँख मूँद कर बैठे हैं। इसका कारण वही विकास रुपी फल है जिसे प्राप्त करने के लिए हम बेचैन हैं। ताकि दुनिया में अपना रुतबा जमा सकें।

अन्तरिक्ष कचरा

साथ ही  हम बात करने वाले हैं इंसान के उस करतब की, जिससे उसने सिर्फ प्रथ्वी को ही नहीं बल्कि सौर मंडल तथा अनंत आकाश तक को प्रभावित किया।

जी हाँ… हम बात करने जा रहे हैं क्रत्रिम्  उपग्रहों की। यों तो इन उपग्रहों का उद्देश्य सूचनाएँ, तकनिकी क्षेत्र में विस्तार करना था, लेकिन इसके साथ ही इन उपग्रहों की मदद से दुसरे विकसित देशों ने भारत की जासूसी तक को अंजाम दिया। पोखरण में परमाणु परीक्षण के समय भारत के ऊपर अमेरिका ने अपनी सेटेलाईट के माध्यम से जो जासूसी की वह इसका अच्छा खासा उदहारण है। अभी हाल ही में भारत ने अरबों रूपए की कीमत से बने GSAT- 6A उपग्रह को कनेक्शन टूट जाने के कारण खो दिया, चूँकि यह उपग्रह सेना से संवंधित भी था इसलिए भारत को जरूर एक बड़ा नुकसान हुआ है, ऊपर से अनयंत्रित अन्तरिक्ष कचरे में भी विस्तार ही हुआ है।

अन्तरिक्ष कचरा

लेकिन क्या आप को पता है, एक निश्चित अवधि के बाद इन उपग्रहों का अथवा अन्तरिक्ष कचरे का क्या होता है?

जी हाँ, कई बार यह अनियंत्रित कचरा जमीन पर वापिस आ जाता है, ऐसा कई बार हो चूका है जिसमें दुसरे देशों का अन्तरिक्ष कचरा किसी दुसरे देश पर गिरा है। इस पर संवंधित देश की सरकार ने उस देश को अच्छा खासा बिल भी थमाया है, जिसका उपग्रह था।अभी हाल ही में यह बहस दुबारा चर्चा में आई है जब एक अनियंत्रित चीनी सेटेलाइट के धरती पर गिरने की आशंका जोर पकड़ने लगी।

लेकिन अगर वही कचरा  नियंत्रित हो तब इसके लिए कई देशों ने मिलकर इस प्रथ्वी पर एक ऐसी ढूंढ रखी जहाँ अब तक की सबसे कम जैव विविधता दर्ज की गई है उस जगह का नाम है “Point Nemo”

Point Nemo दक्षिणी प्रशांत महासागर का एक ऐसा स्थान है जहाँ स्पेस साइंटिस्ट स्पेस से आ रहे नियंत्रित सेटेलाइट को बड़ी आसानी से Point Nemo पर गिरा सकते हैं।

अगर अन्तरिक्ष कचरा साफ़ ना किया गया तो आने समय में कोई विकराल दुर्घटना होने की पूरी सम्भावना है, चूँकि अन्तरिक्ष कचरा ग्रेविटी के कारण प्रथ्वी के चारो ओर ही जमा है लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि आज ये खूबसूरत सी दुनिया चाकू की धार पर चल रही है, जहाँ हर पल कुछ भी होने की सम्भावना है।