राजकुमारी सूरीरत्ना – हाल ही में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आए थे और इस दौरान एक राजकुमारी का जिक्र बहुत हो रहा था। क्या आपने सोचा है कि वो राजकुमारी कौन थी जिसका जिक्र खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया था।
चलिए जानते हैं उस राजकुमारी के बारे में…
उत्तर प्रदेश से शुरु होकर ये कहानी कोरिया के गिमहे में खत्म होती है। आपको मालूम नहीं होगा कि हर साल हियोह्वांग नाम की राजकुमारी को श्रद्धांजलि देने हर साल कोरिया से कई नागरिक अयोध्या आते हैं। हियोह्वांग को भारत में सूरीरत्ना के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 48वीं सदी में उनकी शादी कोरिया के गया राज्य के राजा किमसूरो से हुआ था।
कैसे सूरीरत्ना से हियोह्वांग बनीं
16 साल की उम्र में अयोध्या की इस राजकुमारी को एक सपना आया था कि समुद्र पार करने के बाद उन्हें अपना जीवनसाथी मिलेगा। इस सपने के बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को बताया। इसके बाद वो अपने पति की खोज में निकल गईं और नांव से समुद्र को पार कर कोरिया में कदम रखा। यहां पर उनकी मुलाकात राजा सूरो से हुई। उन्होंने राजा को अपने सपने की बात बताई और इसके बाद दोनों ने शादी कर ली।
कोरिया जाकर शादी करने पर सूरीरत्ना को अपना नाम बदलना पड़ा और अब उनका नाम हियोह्वांग हो गया। उस समय सूरीरत्ना अपने साथ एक पत्थर भी लेकर गई थी जिसे मरने के बाद उनकी कब्र पर रखा गया था।
वैसे तो इस कहानी का कोई साक्ष्य नहीं है लेकिन पुरातत्व अधिकारियों ने कुछ ऐसे सबूत दिए हैं तो अयोध्या और कोरिया की सभ्यताओं के मेल को दर्शाते हैं।
भारत में भी है सूरीरत्ना का मंदिर
सूत्रों की मानें तो पुरातत्विदों को दो ऐसे पत्थर मिले हैं जिन पर दो मछलियां बनी हुई हैं। उनके मुताबिक इन पत्थरों से ही साबित होता है कि कोरिया और अयोध्या के बीच सांस्कृतिक संबंध था। कोरिया के गिमहे शहर की राजशाही कब्रों के डीएनएसैंपलों से भारतीय और कोरियाईसभ्यताओं के संबंध के बारे में पता चला है।
साल 2016 में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अयोध्या में राजकुमारी सूरीरत्ना का मंदिर बनवाए जाने का प्रस्ताव रखा था।
कहा जाता है कि 13वीं सदी में राजकुमारी सूरीरत्ना का जिक्र किया गया है। इस सदी के दस्तावेजों के अनुसार सूरीरत्ना को गया राज्य के सूरो की पत्नी बताया गया है। इन दस्तावेजों को बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह ने एकत्र किया था।
इन दस्तावेजों की मानें तो हियोअयुता साम्राज्य की राजकुमारी कीं जोकि 16 साल की उम्र में ही कोरिया आ गईं थीं। उन्हें गया की पहली महारानी का दर्जा मिला था। गिमहे में हियो की कब्र पर जो पत्थर लगा है उसे राजकुमारी अयोध्या से लाईं थीं।
इस तरह इतिहास में अयोध्या और कोरिया के बीच संबंध के बारे में पता चलता है। हो सकता है कि अयोध्या की धरती पर राजकुमारी सूरीरत्ना का भव्य मंदिर बनने का सपना साकार हो जाए। अगर ऐसा होता है तो इससे हमें अपने इतिहास और राजकुमारी सूरीरत्ना के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा।