जब किसी व्यक्ति को परेशानियां चारों ओर से घेर ले और वह जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा हो, तो वह कहीं जाए या न जाए लेकिन भगवान की शरण में जरूर जाता है.
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस समय भारी संकट से गुजरने के बावजूद मंदिर जाने से बच रहे हैं.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी मंदिर क्यों नहीं जाते हैं इसको लेकर अब तरह तरह के कयास भी लगाए जाने लगे हैं.
क्योंकि कांग्रेस पार्टी वर्ष 1885 में स्थापना के बाद से अभी तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. ऐसी विषम परिस्थिति में मंदिर की देहरी पर से लौट जा रहे हैं. इसके पीछे जरूर कोई मजबूरी है जिसको वे जनता के सामने से कहने से बचना चाहते हैं.
राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी द्वारा बार बार आगे करने के बावजूद वह सफल नहीं हो पा रहे हैं. आज पूरे देश से कांग्रेस पार्टी सिमटती जा रही है. एक समय देश के सबसे ज्यादा सूबों पर राज करने वाली कांग्रेस की आज किन किन राज्यों में सरकार है इसको पता करने के लिए लोगों को ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को भी गूगल का सहारा लेना पड़ रहा है.
बहराल, आप को याद होगा कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रोड शो किया. लेकिन वे वहां नहीं जा सकी. बताया कि बीच रास्ते में उनकी तबीयत खराब हो गई. लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है.
दरअसल, सोनिया भोले नाथ के मंदिर जाना ही नहीं चाहती थी. यदि उन्हें वाराणसी में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने होते तो वे अपनी यात्रा की शुरूआत भगवान के दर्शनों से करती. क्योंकि किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत भगवान के दर्शन के साथ की जाती है. भगवान के दर्शन कार्य समापन के अंत में नहीं किए जाते. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि उन्हें मंदिर जाना होता तो कांग्रेस पार्टी कह सकती थी कि ठीक होने के बाद सोनिया गांधी न केवल अपनी अधूरी यात्रा को पूरी करेंगी बल्कि काशी विश्वनाथ के दर्शन भी करेंगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
वहीं, दर्शन न करने के पीछे असल कारण है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की तरह काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर यहां भी मुस्लिमों के साथ हिंदुओं का विवाद है.
ठीक इसी प्रकार राहुल गांधी चुनावी रोड शो के दौरान अयोध्या जाते हैं तो व वहां हनुमान गढ़ी में तो मंदिर के दर्शन करने जाते हैं लेकिन कुछ दूरी पर स्थिति राम लला के दर्शन करने नहीं जाते. वे हनुमान गढ़ी से ही लौट आते हैं. जबकि अयोध्या पहुंचने वाला और वहां हनुमान गढ़ी के दर्शन करने वाला शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो भगवान राम के मंदिर नहीं जाता.
गौर करने वाली बात है कि जिस राम मंदिर के ताले राहुल गांधी के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने खुलवाया था उसके दर्शन से राहुल गांधी को इतना परहेज क्यों?
दरअसल, वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं. मंदिर जाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुस्लिम मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहती है. क्योंकि राम मंदिर जाने के बाद इसका सीधा अर्थ होगा की कांग्रेस भी अयोध्या में राम मंदिर को स्वीकार करती है. तो उस पर मंदिर बनवाने को लेकर दवाब पड़ना शुरू हो जाएगा. तो वहीं मुस्लिमों में इसका दूसरा संकेत जाएगा. मुस्लिमों को लगेगा कि कांग्रेस भी भाजपा की राह पर जा रही है.
कांग्रेस के मंचों से साॅफ्ट हिंदुत्व की बात कई बार सुनी जा चुकी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में बाबरी ढ़ांचा गिराए जाने के बाद से कांग्रेस से नाराज चल रहा मुस्लिम मतदाता छिटककर सपा और बसपा के पाले में चला जाएगा.
यही कारण है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी अयोध्या और वाराणसी में होने के बावजूद राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने से कतराते है.