सोनिया और राजीव गांधी – इंदिरा गांधी की हत्या हो चुकी थी.
उनका शव दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस यानी एम्स में रखा हुआ था.
इसी बीच सोनिया और राजीव गांधी भी वहां पहुंच चुके थे. अचानक वहां किसी बात को लेकर सोनिया और राजीव गांधी के बीच नोक झौंक हो गई. आवाज सुनकर वहां खड़े लोग समझ नहीं पाए कि आखिर इस गमगीन मौके पर ये दोनों लड़ क्यों रहे हैं.
इस बात का खुलाया किया था इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्जेंडर जो बाद में गोवा के राज्यपाल भी बने थे. पीसी एलेक्जेंडर ने अपनी किताब माई डेज विद इंदिरा गांधी में लिखा है कि इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटों के भीतर उन्होंने एम्स के गलियारे में सोनिया और राजीव को लड़ते हुए देखा था.
उन्होंने सुना कि राजीव सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी चाहती है कि, मैं प्रधानमंत्री पद की शपथ लूं. यह सुनकर सोनिया गांधी भड़क गई. सोनिया ने कहा हरगिज नहीं. तुम ऐसा नहीं करोगे. क्योंकि वो तुम्हें भी मार डालेंगे.
राजीव का जवाब था, मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं वैसे भी मारा जाउंगा.
राजीव गांधी की हत्या के बाद जब एक मौके पर सोनिया गांधी से पूछा गया था कि क्या वो कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेंदारी संभालेंगी तो उन्होंने अपने राजनीति में आने की संभावना को लेकर कहा था कि वो अपने बच्चों को लेकर सड़कों पर भीख मांग लेंगी, लेकिन राजनीति में कभी नहीं आएंगी.
सोनिया गांधी की उस वक्त राजनीति और भारत में दिलचस्पी का पता इस बात से भी चलता है कि जब 1971 में भारत पाकिस्तान का युद्ध शुरू हुआ तो सोनिया गांधी अपने पति राजीव गांधी और दोनों बच्चों को लेकर अपने मायके इटली रहने के लिए चली गई थी.
इतना ही नहीं उन्होंने शादी के वर्षों बाद तक भारत की नागरिकता ही नहीं ली थी.
बहराल वक्त बदला और वही सोनिया गांधी जो राजीव गांधी को उस वक्त प्रधानमंत्री बनने से रोक रही थी वो न केवल कांग्रेस की अध्यक्ष बनी बल्कि अपने बेटे राहुल गांधी को लेकर भी राजनीति में आई.
दरअसल, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी घबरा गई थी. क्योंकि इसके पहले संजय गांधी की भी एक प्लेन हादसे में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी.
बताया जाता है कि 21 मई 1991 को राजीव गांधी की श्रीपेरमबदूर में बम धमाके में हत्या के बाद लोगों ने पहली बार सोनिया गांधी को इतना घबराया हुआ या परेशान देखा था.
राजीव गांधी की हत्या के बाद 10 जनपथ की दीवारों ने पहली बार सोनिया को चीख कर विलाप करते सुना था.