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प्रथम विश्वयुद्ध – जब सैनिकों को अपने मुंह पर यूरिन से भीगा हुआ कपड़ा बांधना पड़ा !

सैनिक मुंह पर यूरीन से भीगा कपड़ा बांधने को मजबूर – प्रथम विश्वयुद्ध का नाम लेते ही 100 साल पहले के उस दर्दनाक मंजर की तस्वीरें जहन में उभरकर आती है जहां हर तरफ सिर्फ तबाही और बर्बादी का भयानक मंजर था.

करीब 4 साल तक चले इस विनाशकारी युद्ध में ना जाने कितने ही बेगुनाह लोग काल के गाल में समा गए जबकि न जाने कितने लोग घायल और गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए. हालांकि इस महायुद्ध के बाद दुनिया में अमेरिका और रुस जैसी दो महाशक्तियों का उदय हुआ.

लेकिन हालात तो तब बद से बदतर हो गए थे जब आपातकालीन स्थिति में इस युद्ध में शामिल सैनिक अपने मुंह पर यूरीन से भीगा कपड़ा बांधने को मजबूर हो गए थे.

मुंह पर यूरीन से भीगा कपड़ा बांधने को मजबूर हुए थे सैनिक – 

4 साल तक चले इस युद्ध में 30 देश हुए थे शामिल

प्रथम विश्वयुद्ध की सबसे अहम वजह ऑस्ट्रिया के राजकुमार की बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में हुई हत्या को बताई जाती है.

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई थी. साल 1914 से 1918 तक चले इस युद्ध में 30 से भी ज्यादा देशों ने हिस्सा लिया था. इससे हुए भयंकर विनाश और मरनेवालों की तादात की वजह से इसे विश्व का महायुद्ध कहा गया.

हालांकि पहले प्रथम विश्व युद्ध को ‘वार टू एंड ऑल वार्स’ भी कहा गया लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि इस विनाशकारी युद्ध के कुछ सालों बाद ही दूसरे विश्वयुद्ध का भी आगाज हो गया.

करीब 4 साल तक चले इस युद्ध ने करीब आधी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था. आंकडों के मुताबिक इसमें एक करोड़ लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे जबकि इससे दोगुने लोग घायल हो गए थे. इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण से लाखों लोग काल के गाल में समा गए.

जब सैनिकों ने मुंह पर यूरीन से भीगा कपड़ा बांधने को मजबूर

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लगभग 30 अलग-अलग तरह की जहरीली गैस छोड़ी गयी थी. जिसकी चपेट में आकर ना सिर्फ आम जनता बल्कि हजारों सैनिक क्षतिग्रत और अपाहिज हो गए थे. इनमें से कई सैनिकों का पूरा जीवन युद्ध के बाद अस्पताल में ही बीता.

युद्ध के दौरान जहरीली गैस के कारण जब हालात बद से बदतर हो गए तब मैदान में डटे रहने के लिए आपातकालीन स्थिति में सैनिक अपने मुंह पर यूरीन से भीगा हुआ कपड़ा बांधते थे. ताकि जहरीली गैस की चपेट में आने से वो खुद को बचा सकें. हालांकि साल 1918 में सैनिकों के बीच गैस मास्क का वितरण किया गया था.

मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रथम विश्व युद्ध में कुल 8 लाख भारतीय सैनिक शामिल हुए थे जिसमें कुल 47746 हजार सैनिक मारे गये और 65000 हजार जख्मी हुए थे. इस युद्ध के कारण भारत की अर्थव्यवस्था भी लगभग दिवालिया हो गयी थी.

गौरतलब है कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध में शामिल सैनिकों को जहरीली गैस के बीच मैदान में डटे रहने के लिए मजबूरन मुंह पर यूरीन से भीगा कपड़ा बांधने को मजबूर हुए.

Anita Ram

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