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जब दो दुश्मन सेनाओं का होता है आमना सामना तो क्यों रख देते हैं सैनिक जमीन पर बंदूके?

बंदूके जमीन पर

ऐसा बहुत ही कम होता है जब दो दुश्मन देशों की सेनाओं का आमना सामना हो जाए तो वे बजाए लड़ने के अपनी बंदूके जमीन पर रख देती हैं.

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश होगा कि किसी विदेशी सैनिक को अपने देश की सीमा रेखा में प्रवेश करने पर जवान दुश्मन सैनिक को गोली मारने के बजाए अपनी बंदूक जमीन पर रखकर बतियाने लगे.

जी हां, ठीक ऐसा ही होता है भारत चीन सीमा पर.

भारत की पूर्वी सीमा रेखा पर जहां पाकिस्तानी या भारतीय सेना के किसी सैनिक के एक दूसरे की सीमा में प्रवेश करने पर सीधे गोली मार दी जाती है वहीं भारत चीन की उत्तरी सीमा पर ठीक इसके उलट होता है.

सीमा पर गस्त करते समय जब कभी ऐसा मौका आता है कि भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे के आमने सामने पड़े जाए तो बजाए इसके कि एक दूसरे पर राइफले तानकर बात करें वे अपनी अपनी बंदूके जमीन पर रखकर कुछ कदम चलकर आगे आते हैं और फिर आपस में कोई बात करते हैं.

ऐसा करने के पीछे कारण यह है कि भारत और चीन सीमा रेखा करीब चार हजार किमी लंबी है. अधिकांश सीमा पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण इसका निर्धारण नहीं हो पाया है. जिससे अधिकांश सीमा पर दोनों देशों के बीच विवाद है.

बाहर से भले ही दोनों देशों की सीमा पर शांति सुनने और देखने मिले लेकिन वर्ष 1962 के युद्ध के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच अंदरखाने तनातनी रहती है. ये देखा गया है कि सीमा पर दावा ठोकने को लेकर और अपनी सीमा से बाहर जाने को लेकर सैनिक एक दूसरे पर राइफले तान देते हैं.

दुनिया की दो विशाल जनसंख्या वाले ये दोनों देश परमाणु ताकत से लैस है.

एक दूसरे की सीमा में गलती से दाखिल होने पर कहीं गोलीबारी हो गई तो स्थिति युद्ध में भी बदल सकती है.

इसलिए भारत और चीन सरकार ने यह तय किया है कि सीमा पर गस्त के दौरान जब कभी ऐसी स्थिति होगी कि एक दूसरे की सीमा में घुसपैठ को लेकर दोनों देशों की सेनाए आमने सामने होंगी तो उस स्थिति में दोनों देशों के सैनिक अपने अपने हथियार हाथ में लेकर बातचीत नहीं करेंगे – बंदूके जमीन पर रख देंगे.

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