विशेष

ये कहानी फ़िल्मी नहीं हकीकत है! 7 साल बाद घर लौटा मृतक सैनिक!

ऐसी कहानी अभी तक आपने फिल्मो में ही देखी होगी कि कोई सैनिक सालो तक गायब हो जाता है. परिवार वाले और मिलेट्री फ़ोर्स उसे मरा समझ लेते है. परिवार में मातम छा जाता है.

और

एक दीन सैनिक ज़िंदा अपने लोगो के सामने आकर सभी को अचम्भित कर देता है.

घर वालो में खुशी की लहर. लोगो को कहना ‘ये तो भगवान् का चमत्कार है’.. वगैरा वगैरा!

जब आप इस फ़िल्मी कहानी के हकीकत को जानेंगे तो आप भी चौक जाएंगे और इसे ईश्वर का आशीर्वाद ही मानेंगे.

जैसा की जयपुर में रहने वाला यादव परिवार मानता है.

क्या है फ़िल्मी कहानी

ये फ़िल्मी कहानी जयपुर में रहने वाले भारतीय सेना की 66 आर्म्ड रेजिमेंट के जवान धर्मवीर यादव की है.

आज से 7 साल पहले धर्मवीर यादव देहरादून में कार्यरत थे. ड्यूटी के दौरान धर्मवीर की कार अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी. घटनास्थल पर कार तो बरामद हुई पर धर्मवीर नहीं मिले. महीनो तक परिवार और फ़ोर्स ने धर्मवीर को बहुत खोजने की कोशिश की पर वे नहीं मिले. अंत में उन्हें मृतक घोषित कर दिया गया.

और फिर 7 साल बाद वो हुआ जो सिर्फ फिल्मो में होता है.

धर्मवीर पुरे 7 साल बाद अपने घर अचानक पहुच गए. अपने मरे हुए पति की सूरत देख उनकी पत्नी पार्वती फुट फुट कर रोने लगी और ईश्वर का धन्यवाद किया. धर्मवीर के पिता व भारतीय सेना के रिटायर्ड सूबेदार कैलाश यादव ने बताया कि उनकी बहु पार्वती ने धर्मवीर को कभी मरा नहीं समझा बल्कि वो हर पल अपने पति का इंतज़ार करती रही.

सात साल तक कहा गायब रहे जवान धर्मवीर

घर पहुचते ही धर्मवीर ने अपने 7 साल की कहानी सभी परिवार को बताई.

धर्मवीर ने बताया कि जब उनकी गाडी खाई में गिरी तो उनके सिर पर एक गहरी चोट लगी. जिससे वे अपनी याददाश्त खो बैठे. भटकते भटकते हरिद्वार पहुचे. पुरे 7 साल सैनिक धर्मवीर यादव ने भिखारी की जिंदगी जी.

धर्मवीर हरिद्वार में रहने वाले के दया-करम पर जीवित थे.

धर्मवीर से जुडी एक और फ़िल्मी कहानी

फिल्मो में अक्सर दिखाया जाता है कि जिन इंसानों की याददाश्त किसी ठोकर के चलते चली जाती है, अगर उसी जगह फिर ठोकर लगे तो याददाश्त वापस आ जाती है.

ऐसा फ़िल्मी सीन धर्मवीर के साथ भी हुआ.

दरअसल जब उनकी कार खाई में गिरी थी तब उनके सिर पर चोट लगी थी और उनकी याददाश्त चली गई थी. धर्मवीर के मुताबिक़ हरिद्वार में फिर एक बार वे किसी कार से टकरा गए और पुराने जख्म में दोबारा चोट लगने से उनकी याददाश्त वापस लौट आई.

ऐसे में धर्मवीर खुशी-खुशी घर लौट आए.

आर्मी ने शुरू कर थी पेंशन

धर्मवीर अप्रैल 1994 में सेना में नियुक्त हुए थे. देहरादून में 29 नवंबर 2009 के दीन उनकी कार खाई में जा गिरी. महीनो ढूंढने के बाद जब वे नहीं मिले तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. मज़े की बात ये है कि आर्मी ने धर्मवीर की पेंशन भी शुरू करदी थी. धर्मवीर के घर वालो को पेंशन के तौर पर 8 हज़ार रुपए महीने मिलते थे. 7 साल के हिसाब से यादव परिवार ने आर्मी से अब तक 6 लाख से ज्यादा रुपए लिए है.

कहते है ‘जाको राखे साईया, मार सके ना कोय’ ऐसा ही कुछ सेना के जवान धर्मवीर के साथ हुआ है.

और फिर एक बार साबित हुआ है कि फिल्मे रियल कहानी पर ही बनती है.

जय हिंद जय ज़वान…

Dharam Dubey

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Dharam Dubey

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