सोशल मीडिया

चुनावों में कैसे सोशल मीडिया होता है मददगार !

चुनाव में सोशल मीडिया – सोशल समय में सोशल मीडिया का रोल ज्यादा ही ख़ास हो गया है।

हर कोई इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल स्वयं के प्रचार व प्रसार के लिए करता दिख ही रहा है। इस प्लेटफॉर्म के प्रकार व्हट्स ऐप्प, फेसबुक व ट्विटर सामान्य दिनों में उस हद तक सक्रिय नहीं रहते हैं जैसे किसी विशेष अवसर के दिनों में इन सभी की भूमिका अधिक बढ़ती हुई दिखती है ।

आमतौर पर चुनाव के दिनों में पार्टियां अपने एजेंडों को जनता तक पहुंचाने हेतु, सोशल प्लेटफॉर्म का सदुपयोग व दुरुपयोग अत्याधिक ही करती आयी है। चुनावी पार्टियों ने लाभ के लिए सोशल प्लेटफॉर्म जैसे व्हट्स ऐप्प, फेसबुक, ट्विटर व सर्च इंजन गूगल की इस्तेमाल अपने लिए किया ही है। जोकि किसी से छुपा नहीं है। लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी के लिए यह सभी प्लेटफॉर्म किस हद तक मददगार साबित होते हैं।

इस बात के लिए चलिए जानते हैं चुनाव में सोशल मीडिया ।

चुनाव में सोशल मीडिया –

१ – सर्च इंजन गूगल

गूगल एक ग्लोबल सर्च इंजन है, जिससे व्यक्ति किसी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है। सिर्फ यही नहीं, गूगल समय-समय या विशेष अवसर पर अपने प्लेटफॉर्म पर कई सुविधाएं भी उपलब्ध करवाता है। यदि पिछले चार वर्ष में आप चुनावी हलचल से वाकिफ है फिर आपने गूगल की सुविधा डूडल में पीएम मोदी का चलचित्र जरूर देखा होगा। जो पीएम मोदी व उनकी पार्टी (बीजेपी) के लिए लाभदायक है। इसके साथ-साथ गूगल ने चुनाव के दिनों ख़ास टैग व सर्वे भी करवाएं है।

२ – फेसबुक

सोशल मीडिया का प्रबल माध्यम फेसबुक, जिसमें सभी अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। फेसबुक की इस ख़ासियत का प्रयोग राजनीतिक पार्टी ने अपने लाभ के लिए हर बार किया है। चुनावी हलचल या चुनावी बहस के दिन पार्टी सदस्य अपने फेसबुक पेज पर राय अभिव्यक्त करते हैं। जिसे फेसबुक बतौर बिज़नेस के तौर पर आगे प्रयोग करता है। फेसबुक ने राजनैतिक पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए सर्वेक्षण भी करवाए हैं। कई आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वालों के फेसबुक पेज पर प्रतिबंध भी लगवाया है।

३ – ट्विटर

फेसबुक के बाद, बहस का दूसरा प्रबल माध्यम है ट्विटर । यह ऐसा माध्यम है जिसमें लोग बात वही लिखते हैं लेकिन भाषा की चमत्कारी के साथ, क्योंकि ट्विटर में शब्द सीमा तय है। ट्विटर से हैशटैग का चलन आरंभ हुआ है। जो चुनाव के दिनों में किसी पार्टी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण है। ट्विटर की सेवा हैशटैग के अलावा ट्विटर में चुनावी प्रोपेगेंड़ा, फेसबुक से अधिक ही रहता है।

४ – व्हट्स ऐप्प

व्हट्स ऐप्प एक मोबाइल प्लेटफॉर्म है। जो समय-समय पर नये फीचर के साथ अपडेट हुआ है। व्हट्स ऐप्प पर अक्सर आपने कई मैसेज रिसीव किए होंगे। जो किसी ख़ास बात के लिए बनाए जाते हैं। यह ख़ास बात चुनाव से लेकर अन्य बात पर भी हो सकती है। लेकिन तीन साल पहले से यह ऐप्प चुनाव में आपत्तिजनक मैसेज के लिए प्रकाश में आयी थी। जिसके बाद कई मौकों पर इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिससे कही-न-कही सभी प्रभावित हुए है ।

नया चुनावी सीज़न आने ही वाला है।  इस तरह से चुनाव में सोशल मीडिया इस्तेमाल होगा और इसके लिए यह सभी सोशल प्लेटफॉर्म एक नये सिरे से चुनाव को प्रभावित करने हेतु कुछ नया ही लेकर आएंगे।

Taruna Negi

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