भारत

ऐसा गाँव जहां सबके दोस्त हैं सांप

सांप और इंसान की दोस्ती – सांप एक ऐसा जीव होता है जिसका नाम सुनते ही अच्छे से अच्छे इंसान की रूह कांप जाती है।

सांप और इंसान की दोस्ती होना बड़ा ही मुश्किल है। देशभर में हजारों लोगों की मौत सांप के काटने से होती है। लेकिन अगर कोई कहे कि ‘सांप मेरा दोस्त है’ तो ये सुनने में कितना अजीब लगता है।  पर आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक हर इंसान ही सांप को अपना दोस्त मानता हैं।

सुनकर भले ही आपको थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन ये बिलकुल सच है। जिस  गांव के बारे में हम आपको बता रहे हैं वहां बच्चे से लेकर बड़े इंसान तक सभी किसी खिलौने की तरह सांप के साथ खेलते हैं। ये गाँव सांप और इंसान की दोस्ती की मिसाल है.

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का एक गांव ऐसा है, जिसे सपेरों का गांव भी कहा जाता है। इस गांव में सांप के काटने पर भी कोई मरता नहीं है। यहां तक कि अगर आसपास के गांव में भी किसी को सांप काट लेता है तो वो इसी गांव में आकर उपचार करवाते हैं और इसे सपेरे मंत्र और जड़ी बूटियों द्वारा ठीक किया जाता है। इस गांव में लगभग सभी घरों में लोगों ने सांप पाला हुआ है। खास बात तो ये है कि इस गांव में सांप का पालन-पोषण बिलकुल बच्चे की तरह ही किया जाता है। इस गांव में छोटे-छोटे बच्चे भी सांप के साथ खेलते हैं।

सांप और इंसान की दोस्ती –

जब कभी गलती से भी सांप अगर किसी के पैरों के नीचे आ जाता है और अगर वो किसी को काट भी लेता है तो भी उस इंसान की मृत्यु नहीं होती है। लेकिन फिर भी यहां सांप को मारा नहीं जाता है। इस गांव में सांप को मारना पाप के समान माना जाता है। दरअसल इस गांव में रहने वाली आधी से ज्यादा आबादी सपेरों की है। गांव के लगभग सभी लोग का पेशा है सांप पकड़कर उनका तमाशा दिखाना। इसी के जरिए वो अपना गुजारा करते हैं.

गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘सांप पकड़ने का पेशा उनके बाप-दादा कई सालों से करते आ रहे हैं। इसलिए गांव में हर घर में सांप पाया जाता है और छोटे-छोटे बच्चे भी सांपो के साथ खेलते हैं।  जो भी इस गांव के बारे में सुनता है वो इन बातों पर विश्वास नहीं कर पाता है।

इस गांव में कोबरा, वाइपर रेटल स्नैक और करैत जैसे बेहद जहरीले सांप पाए जाते है।जब किसी सांप की मृत्यु हो जाती है तो उसका मालिक पूरे रीति-रिवाज से सांप का अंतिम-संस्कार करता है।इतना ही नहीं अंतिम संस्कार के बाद मूंछ-दाढ़ी मुड़वाते हैं और आसपास रहने वाले सभी लोगों को भोजन भी करवाते हैं। एक और खास बात ये है कि जब भी गांव में किसी कि शादी होती है तो लोग अपनी लड़की को दहेज़ में भी सांप देते हैं।

सांप और इंसान की दोस्ती – वैसे सिर्फ छत्तीसगढ़ का ये गांव ही नहीं बल्कि देश में और भी ऐसे कई गांव हैं जहां पर सांप को उनके घर के सदस्य की तरह ही पाला जाता है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के पडरौना विकास खंड के सखवानिया गांव में घर-घर में सांप पाले जाते हैं। बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय से 23 किलो मीटर की दुरी पर स्थित सिंधिया घाट नामक गांव का भी सांप से अनोखा रिश्ता है। उत्तर प्रदेश के ही कानपुर के पास जोगीडेरा नामक गांव में भी सभी बच्चे सांप से खेलते हैं।

Ayushi Sharma

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