सेहत

दिल्ली में फॉग नहीं स्मॉग चल रहा है आना हो तो संभलकर नहीं तो हो सकती है ये परेशानी

अगर आप इन दिनों दिल्ली आने की सोच रहे हैं तो अपना प्रोगाम कैंसिल कर दीजिए क्योंकि दिल्ली में इस समय फाॅग नहीं स्माॅग चल रहा है।

दीवाली के बाद से दिल्ली एक अजीब सी धुंए की गिरफ्त में है।

कुछ लोग इसे फाॅग समझ रहे हैं लेकिन असल में जिसे लोग फाॅग समझकर सर्दियां शुरू होने की आहट समझ रहे हैं वो फॉग नहीं आपकी सेहत के लिए बेहद खतरनाक स्मॉग है।

दिल्ली में छाई ये धुंध वो खतरनाक कोहरा है, जो आपको सांस और फेफड़ों से संबंधित कई गहरी बीमारियां का रोगी बना सकता है।

गौरतलब है कि इस दिवाली के मौके पर दिल्ली में बीते तीन सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया है। बीते 36 घंटों के दौरान दिल्ली की हवा में 10 की संख्या 4 सौ को भी पार कर गई। प्रदूषण का आलम यह है कि देश की 10 सबसे प्रदूषित जगहों में से 8 दिल्ली-एनसीआर की हैं।

अक्सर बढ़ते प्रदूषण के कारण ठंड के मौसम में स्मॉग हावी हो जाता है। लेकिन दिल्ली में समय इसके कारण दमा और सांस के मरीजों को ही नहीं आम लोगों को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है। स्मॉग का सबसे ज्यादा दुश्प्रभाव अस्थमा और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ता है।

दरअसल, स्मॉग में छिपे केमिकल के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। स्मॉग से फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली ट्यूब में रुकावट, सूजन, रूखापन या कफ आदि के कारण भी समस्या होती है।

इन सूक्ष्म कणों की मोटाई करीब 2.5 माइक्रोमीटर होती है और अपने इतने छोटे आकार के कारण यह सांस के साथ फेफड़ों में घुस जाते हैं और बाद में हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन बहुत पहले से स्मॉग और उससे सेहत को होनेे वाले नुकसान के प्रति देशों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है। स्मॉग में सूक्ष्म पर्टिकुलेट कण, ओजोन, नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड मौजूद होते हैं, जो लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। पिछले सालों में डब्ल्यूएचओ ने बार बार कहा है कि इन हानिकारक पदार्थों के लिए एक सीमा तय करनी चाहिए नहीं तो बड़ें शहरों में रहने वाले लोगों को बहुत नुकसान पहुंचेगा।

आप को बता दे स्माॅग शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है।

आम तौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तो वहां स्मॉग बनता है। ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है। तब ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा ने पूरे शहर को एक कंबल की तरह लपेट लिया हैै जैसा कि आजकल दिल्ली में नजर आ रहा है।

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