स्मार्टफोंस – हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आज लोग टेक्नोलॉजी की गिरफ्त में पूरी तरह से फंस चुके हैं।
तकनीक की पकड़ इतनी तेज हो गई है कि लोग इंसानी रिश्तों को कम समझने लगे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आजकल लोग अपनों से ज्यादा अपने स्मार्टफोंस से प्यार करने लगे हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 33 पर्सेंट लोग जिसमें युवाओं की आबादी सर्वाधिक है वे डिजीटल दुनिया में पैदा हुए हैं। इन लोगों के आसपास अपनों से ज्यादा स्मार्टफोन होते हैं और ये इंसानों से ज्यादा फोन और डिजीटल गैजेट्स को महत्व देते हैं। इस मामले में इंडिया टॉप पर है।
हाल ही में मोटोरोला ने एक स्टडी करवाई है जिसमें यह खुलासा हुआ है। ये स्टडी कंपनी ने हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट के साथ मिलकर की है। इसमें 50 पर्सेंट से भी ज्यादा लोगों ने अपने स्मार्टफोंस को अपना बेस्ट फ्रेंड बताया है। इसका मतलब है कि अब युवाओं को अपने आसपास दोस्तों और रिश्तेदारों की जरूरत नहीं है। उनके लिए गैजेट्स और स्मार्टफोंस ही सबसे ज्यादा जरूरी हो चुके हैं।
स्मार्टफोन और लाइफ को बैलेंस करने के इच्छुक लोगों के बारे में जानकारी जुटाई गई तो इसमें भी भारत टॉप पर रहा। करीबन 64 पर्सेंट भारतीय ऐसा चाहते हैं कि उनकी लाइफ और स्मार्टफोन के प्रयोग में बैलेंस आ जाए। इसका मतलब तो यही हुआ कि लोग खुद समझ रहे हैं कि मोबाइल का इस्तेमाल उनके लिए कितना ज्यादा खराब है और इसकी वजह से वो अपनों से ही दूर हो रहे हैं।
स्टडी में यह बात भी साफ हुई है कि स्मार्टफोंस के प्रति बढ़ते क्रेज़ से कैसे लोगों के रिश्तों में दूरियां और खटास आ रही है। इस स्टडी में लगभग 50 पर्सेंट लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि सुबह उठते ही सबसे पहले वो अपना फोन चैक करते हैं। इस मामले में भी भारत अन्य देशों के मुकाबले सबसे आगे है। वहीं तकरीबन 35 पर्सेंट लोगों ने माना है कि वो अपने दिन का काफी समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं। इनमें से तकरीबन 44 पर्सेंट लोग ऐसे हैं जिनका जन्म 1990 से 2000 के बीच हुआ है।
भारतीयों का मानना है कि ये उनके लिए बहुत बेहतर रहेगा कि उनका वक्त स्मार्टफोन के साथ कम और लोगों के साथ ज्यादा बीते। यानि की लोग खुद समझ रहे हैं कि स्मार्टफोन से उनकी करीबी उनको अपनों से दूर कर रही है लेकिन इसके बावजूद वो खुद को इससे दूर नहीं कर पा रहे हैं।
इसके साथ ही स्टडी में यह भी सामने आया है कि कैसे स्मार्टफोन खो जाने पर लोग परेशान हो जाते हैं। स्मार्टफोन खोने पर एक दम से पैनिक होना आम बात हो गई है। स्मार्टफोन से ये इमोशनल टच भी भारत में ही ज्यादा देखने को मिला है।
इस स्टडी के परिणाम को जानने के बाद मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि हर बुरी चीज़ या काम में भारतीय सबसे आगे होते हैं। बात लड़कियों को छेड़ने की हो या स्मार्टफोंस को इंसानों से ज्यादा तवज्जों देने की, हम इंडियंस हर मामले में आगे हैं फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा।
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