समझदारी, ज्ञान और शिक्षा किसी की बपौती नहीं!
ये साबित कर दिया है नूनिया बस्ती की नन्हीं नन्हीं लड़कियों ने!
बिहार के इस रूढ़िवादी श्रेत्र में जहां सेक्स और गर्भ के बारे में बात करना भी पाप समझा जाता है, वहाँ यह छोटी छोटी मुस्लिम लडकियां घर घर जा कर गाँव वालों को गर्भनिरोधन के तरीके बताती हैं|
इस गुट की सब से छोटी लड़की की उम्र 12 साल है और वो गर्भनिरोधन के बारे में सब कुछ जानती है! नूनिया बस्ती जो की बिहार के डिस्ट्रिक्ट किशनगंज, महिनगांव ग्राम पंचायत के अधीन आती है, बांग्लादेश के रेफ़ुजियों द्वारा बसाई गयी एक बस्ती है| शेरशाबादी मुस्लिम इस बस्ती की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं|
इस मुस्लिम प्रजाति में लड़कियों का घर से बाहर कदम रखना भी एक गुनाह माना जाता है|
इसी मुस्लिम प्रदाये की ज़िरतुन्निसा ख़ातून (उम्र १२ साल) और उन की कुछ सहेलियां मिल कर एक अकाल्पनिक कार्य को अंजाम दे रही हैं!
बिहार स्वयंसेवी स्वास्थ्य संस्थान द्वारा चलाए जा रहे किशोरी गुट का हिस्सा बन कर यह छोटी छोटी लड़कियाँ जिन की उम्र 12 से 18 साल के बीच है, बस्ती में घर घर जा कर वहाँ की औरतों और यहाँ तक की मर्दों को भी गर्भनिरोधन के महत्व और उसे अपनाने के तरीकों के बारे में समझाती हैं| यह लड़कियाँ बस्ती वालों के लिए बाल विवाह, मातृ स्वास्थ्य, अच्छे ख़ान-पान और साफ़ सफ़ाई से संबंधित क्लास भी चलाती हैं| नासेरा ख़ातून, जिन की उम्र 16 बरस है, नूनिया बस्ती किशोरी गुट की अध्यक्ष है|
मुस्लिम समुदाये में इस तरह के मुद्दों पर बात करना, वो भी लड़कियों के द्वारा, सही मायनों में एक सज़ा योग्य जुर्म समझा जाता है| वहाँ ये निडर लड़कियाँ अपने इस काम को ले कर बहुत ही गर्व महसूस करती हैं और हर रोज़ दूर दराज़ के इलाक़ों में रह रही औरतों तक पहुँचने का प्रयत्न करती हैं, जिन तक शिक्षा नही पहुँच पाती है|
सन 2012 से चल रहे बिहार स्वयंसेवी स्वास्थ्य संस्थान को डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनॅशनल डेवेलपमेंट (Department of International Development) द्वारा चलाए जा रहे ग्लोबल पॉवर्टी आक्षन फंड प्रॉजेक्ट (Global Poverty Auction and Fund Project) से वित्तीय सहायता आती है| ऑक्स्फाम इंडिया (Oxfam India) जैसी कंपनी द्वारा शुरू किया गया यह प्रॉजेक्ट आज काफ़ी ज़ोर शोर से चल रहा है जिस का मुख्य उद्देश्य देश के 6 पिछड़े हुए राज्यों में महिला एवं बालिका स्वास्थ्य में सुधार लाना है|
बहुत ही अच्छा काम कर रही हैं ऐसी कंपनियाँ आगे आ कर| और सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे प्रचार के लिए लड़कियों को तैयार किया जाता है, जो कि शायद बहुत ही बेहतर तरीके से बस्ती के लोगों के साथ बातचीत कर सकती हैं और उन्हें समझा सकती हैं| बस्ती के लोग उन्हें सुनते हैं, समझते हैं और उन की बात मानते भी हैं|
ये लड़कियाँ कॉपर टी, निरोध, माला डी और गर्भ निरोधन के दूसरे सभी तरीके जानती और समझती हैं और गाँव वालों को पूरी तरह से समझा पाने में सक्षम भी हैं|
आज हमारे देश को ऐसे ही खुले विचार और आचार वाली युवा पीढ़ी की ज़रूरत है जो किसी भी क्षेत्र में पूरी कुशलता के साथ काम कर सकती है और देश की प्रगती में हाथ बँटा सकती है|
क्या आप हैं ऐसी ही युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि?