सबके घर में गेहूं और चावल तो होते हैं, लेकिन मोटा अनाज शायद ही किसी के घर में होता है।
शहरों में रहने वाले लोगों के घर में तो शायद ही मोटा अनाज मिलता होगा। दरअसल शहरी लोग मोटे अनाज को गरीबों का अनाज मानते हैं। इसके अलावा ये खाने में थोड़ा सा मोटा होता है जिसके कारण लोग इसे खाना पसंद नहीं करते हैं। जबकि ये मोटा सा दिखने वाला और गरीबों का अनाज कहलाने वाला ये मोटा अनाज हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है।
इसलिए तो 2018 को भारत सरकार राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के तौर पर मना रही है।
क्या होता है मोटा अनाज?
ये अनाज दिखने में मोटा होता है और खाने में भी मोटा जैसा लगता है। और इसकी सबसे अच्छी बात है कि इसे खाने से वजन बढ़ने की समस्या नहीं होती है। तो अगर आपको पतला होना है तो आज से मोटा अनाज खाना शुरू कर दें। भारत सरकार इस साल को मोटा अनाज वर्ष की तरह मना रही हैं और इसका प्रयास है कि अगले साल दुनिया भी ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ मनाए।
2019 हो ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’
ये अनाज के महत्व को समझते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र संघ खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के महासचिव जोस ग्रेजियानो डा सिल्वा को पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया है कि ‘वर्ष 2019 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ (International Year of Millets) घोषित करे। ध्यातव्य है कि भारत द्वारा वर्ष 2018 को ‘राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने 1-5 अक्टूबर, 2018 के मध्य रोम में प्रस्तावित ‘कृषि पर समिति (Coag) के 26वें सत्र’ में इस प्रस्ताव को शामिल किए जाने का निवेदन किया है।
हेल्दी होता है मोटा अनाज
मोटा अनाज काफी हेल्दी होता है। इसलिए 2018 में भारत सरकार ने ‘पोषक-अनाज’ (Nutricereals) नाम दिया है। मोटे अनाज में ज्वार, बाजार, रागी, कंगनी/काकुन, कुट्टू आदि शामिल हैं।
शहरवासियों को नहीं मालूम इसके फायदे
शहरों में रहने वाले लोगों को मोटे अनाज के फायदे बिल्कुल भी नहीं मालूम हैं और वे खाने में इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके दो कारण हैं- पहला तो इससे रोटी बनाना बहुत मुश्किल होता है और ये खाने में थोड़ा मोटे से लगते हैं। लेकिन इसके फायदे बहुत सारे होते हैं। इनके फायदों के बारे में नीचे पढ़ें।
ज्वार
ज्वार बहुत ही फायदेमंद होता है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर बताया है कि ज्वार खाने से कुपोषण की समस्या नहीं होती है। ज्वार में सारे पोषक-तत्व होते हैं जबकि गेहूं में केवल कार्बेहाईड्रेट होता है। इसलिए गेहूं की रोटी खाने से पेट भरता है और फिर उसके बाद पेट निकलता है। जबकि ज्वार से पेट तो भरता ही है साथ में इसमें जो पोषक-तत्व होते हैं वे आपको कुपोषण का शिकार नहीं होने देते हैं।
रागी के फायदे
रागी खाने के भी कई सारे फायदे हैं। रागी में कैल्शियम उच्च मात्रा में होता है इसलिए हड्डियों के मरीजों को रागी अपने भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए। जो लोग ऑस्टेपेनिया के शिकार हैं उन्हें रागी खाना चाहिए। इसलिए रागी का इस्तेमाल छोटे बच्चों के भोजन में भी होता है।
ओट्स
ओट्स के फायदे तो हर किसी को मालूम हैं। इसमें काफी मात्रा में फाइबर्स होता है और इसकी रोटी खाने से पेट नहीं निकलता है। वजन नहीं बढ़ता है। ओट्स हृदय संबंधी बीमारियों को ठीक करता है। इसी तरह से जौ खाने से ब्लड कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहता है। मक्का खाने से शरीर में कमजोरी नहीं होती है।
मोटे अनाजों के इन सारी फायदों के कारण ही सरकार अगले साल को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के तौर पर मनाना चाहती है। तो फिर देर किसी बात की है आप भी मोटा अनाज खाना शुरू करें और वजन घटाना खुद ब खुद शुरू हो जाएगा।