सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी – देश की बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ बेराज़गारी भी बढ़ रही है।
स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई करने के बाद भी युवा बेराज़गारी से घिरे हुए हैं। इन्हें ना तो कोई सरकारी नौकरी मिल रही है और ना ही प्राइवेट कंपनियों में इनके लिए कोई काम है। अब तो हालात इतने ज्यादा खराब हो गए हैं कि ग्रेजुएट की डिग्री लिए युवा सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने जा रहे हैं।
जी हां, ये खबर सुनकर आपको भी धक्का जरूर लगा होगा कि इतनी मेहनत से पहले बारहवीं पास करो और फिर कॉलेज पहुंचकर ग्रेजुएशन करो और इस सबके बाद भी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का आवेदन भरो। ये कितनी शर्म और दुख की बात है।
पिछले सप्ताह एक डिग्री कॉलेल में लगे रोज़गार मेले में ये बात सामने आई है। इस मेले में राजस्थान की सिक्योरिटी एवं इंटेलिजेंस सर्विस कंपनी युवाओं को सिक्योरिटी गार्ड और सुपरवाइज़रों को सिलेक्शन करने आई थी। कंपनी की तरफ से श्योपुर जिले से करीब 200 सिक्योरिटी गार्ड औश्र सुपरवाइज़रों की जरूरत थी और इसके लिए कंपनी ने पूरे शहर में पैंफलेट बांटे थे।
शहर में मौजूद हर बेरोज़गार के हाथ ये पर्चा लगा और वो इस मेले में पहुंच गया। सिक्योरिटी गार्ड के लिए पूरा क्राइटेरिया फोर्स की भर्ती की तरह रखा गया था। यहां से कई युवाओं को छोटे कद के कारण मायूस होकर वापिस लौटना पड़ा तो कुछ युवा फिजिकल रूप से फिट ना होने की वजह से रिजेक्ट हो गए। इस मेले में आए युवाओं की कंपनी वेतन के नाम पर चाहे कुछ भी दे, पहले तो बस नौकरी लग जाए। जिला कार्यालय के सहयोग से ये मेला लगाया गया था और इसमें लगभग 250 लोग इंटरव्यू देने पहुंचे थे।
इंटरव्यू के दौरान फॉर्म के लिए 200 रुपए की फीस ली गई थी और इसके बाद चयन होने पर युवाओं से 7 हज़ार रुपए ड्रेस, ट्रेनिंग और रहने के नाम पर मांगे गए। ये बात सुनकर कई युवा तो उलटे पांव ही लौट गए। इस बारे में युवाओं का कहना था कि अगर उनके पास 7 हज़ार रुपए होते तो वह सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए क्यों आते। कंपनी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए 9 से 12 हज़ार और सुपरवाइज़र के लिए 10 से 14 हज़ार की सैलरी दे रही है। इस मेले में लड़कियां भी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए पहुंची थीं।
रोज़गार मेले में काउंसलर के रूप में कम कर रहे एक शख्स ने बताया कि यहां पर पढ़े-लिखे युवा जरूर हैं लेकिन उन्हें ना तो कोई तकनीकी ज्ञान है और ना ही वो अप टू डेट हैं। जैसे वो अपने घर में रहते हैं उसी हालत में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने चले आते हैं। पारंपरिक पढ़ाई और लोक व्यवहार की कमी के कारण युवाओं के पास फर्स्ट क्लास की डिग्री होने के बाद भी कोई नौकरी नहीं है।
सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी – इस खबर को पढ़ने के बाद देश का सिर शर्म से झुग गया होगा। माना कि इन लोगों को तकनीकी ज्ञान नहीं था और ना ही इतनी बढिया नॉलेज थी लेकिन यहीं तो मोदी जी का स्किल इंडिया काम आना है। देश के सभी बेरोज़गार युवाओं को सबसे पहले ट्रेनिंग देनी चाहिए ताकि देश से बेरोज़गारी दूर हो सके और सबको नौकरी मिल सके।