नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की योजना स्किल इंडिया प्रोगाम भारत में भिखारियों की बढ़ती समस्या से निपटने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
क्योंकि समय समय पर भिखारियों को लेकर जो आंकड़े आए हैं उसके अनुसार देश में पड़े लिखे भिखारियों की तादाद काफी है. भारत में सड़कों पर भीख मांगने वाले लगभग 78 हजार भिखारी शिक्षित हैं. देश में बड़ी संख्या में डिग्री और डिप्लोमा वाले भिखारी हैं और उनमें से कुछ के पास प्रोफेशनल डिग्री भी है.
कई लोगों का कहना है कि वे इसलिए भीख मांग रहे हैं क्योंकि उनको कोई नौकरी नहीं मिली. अंत में थक हारकर अपना पेट पालने के लिए उन्होंने भीख मांगना शुरू कर दिया. जब एक बार बिना मेहनत किए पैसे मिलने लगे तो उन्हें भी इसकी आदत पड़ गई और अब उन्होंने भिक्षावृति को ही अपना रोजगार का आधार बना लिया.
लेकिन अगर सरकार और समाज आगे आए और इन लोगों को भारत सरकार की स्किल इंडिया प्रोगाम से जोड़े तो देश में बहुत हद तक इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है.
वह ऐसे कि इन भिखारियों में जितने भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट भिखारी है उन सभी को भारत सरकार के स्किल इंडिया प्रोग्राम से जोड़कर उनको किसी न किसी स्वरोजगार के कार्यक्रम से जोड़ा जा सकता है.
जानकारों का मानना है कि आज के दौर में भिखारियों को रोजगारपरक कार्यों से जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है.
इसी प्रकार जितने भी प्रोफेशनल डिग्री धारक भिखारी हैं उनको भी स्किल इंडिया प्रोगाम द्वारा ट्रेंड कर किसी न किसी रोजगार से जोड़ा जा सकता है. बाद में इन्हीं भिखारियों के अंडर में एक या दो भिखारियों को सहायक के रूप में जोड़कर उन्हें भिक्षा जैसे बदनाम कार्य से मुक्ति दिलाई जा सकती है.
इस कार्य में स्वयंसेवी संस्था और समाज के लोग सरकार की बहुत मदद कर सकते हैं. क्योंकि जब लोग भिखारियों को जरूरत मंद मानकर उनको भीख दे सकते हैं तो वो इन भिखारियों को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद भी कर सकते हैं.
इनको मैकनिक और सिलाई आदि जैसे हुनर के अनुरूप उन्हें अपनी कॅालोनियों में कार्य देकर उनकी मदद कर सकते हैं.
इस प्रकार स्किल इंडिया प्रोगाम द्वारा भारत को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साकारात्मक कदम बढ़ाया जा सकता है.
भिखारियों की समस्या को लेकर हम कब तक सरकार, समाज और देश की शिक्षानीति की आलोचना करते रहेगे. देश में किसी गरीब को दान देना पुण्य का काम मानकर कब तक इस समस्या को बढ़ावा देते रहेंगे.
क्योंकि भीख मांगते लोगों के बारे में अगर हम यही धारणा पाले रहेंगे कि वे अशिक्षित और लाचार होने की वजह से मांग कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन अब समय आ गया है जब हमे सोचना होगा कि अगर कोई इस दान को अपना धंधा बना ले तो यह देश और समाज के लिए बहुत घातक सिद्ध होगा
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