ये 10 अच्छी लड़कियों वाली हरक़तें नहीं हैं! क्या आप की भी हैं इन में से कोई?

जब बात लड़कियों की होती है तो समाज ने उन पर बहुत सी रोक-टोक लगा रखी है|

खाने-पीने, उठने-बैठने और शायद साँस लेने पर भी! कुछ हरक़तें तो लड़कियाँ अगर कर लें तो उन पर हज़ार उँगलियाँ उठाई जाती हैं भले ही वो कितनी ढकियानूसी क्यों न हों!

और मैं अब बताऊँगी आप को कि अच्छी लड़कियों वाली हरक़तें हैं जिन पर समाज पगला सा जाता है:

1) पैर फैला कर बैठना

अरे यार, जैसे मर्ज़ी बैठने दो ना लड़कियों को, अब बैठने का भी सही और ग़लत तरीका होता है क्या? और फिर, लड़कों पर ऐसे नियम क्यों नहीं लगते?

2) खाना खाएँ तो भी

जी हाँ, उन पर ऐसी भी रोक है कि कैसे, कब, कहाँ, कितना खाना खाना चाहिए! अब खाना खाते वक़्त क्या सोचना? उनका पेट, उनकी भूख, उनकी मर्ज़ी!

3) जिम से आकर आलस

होता है यार, सबके साथ होता है कि जिम से आते ही इतना आलस आ जाता है कि कितनी देर बिस्तर से उठने का तो मन भी नहीं करता, नहाना तो दूर की बात है! सिर्फ़ लड़कियों को क्यों टोकना फिर?

4) फ़िल्मों में पसंद

क्यों लड़कियाँ सिर्फ़ रोमांस और कॉमेडी फ़िल्में ही देख सकती हैं? थ्रिलर, हॉरर या एक्शन मूवीज़ क्यों नहीं?

5) स्पोर्ट्स का शौक़

खेल कूद में हिस्सा लेना तो दूर, अगर लड़कियाँ स्टेडियम में मैच देखने चली जाएँ या घर में टीवी पर अपने पसंदीदा खिलाड़ी को चीयर अप कर दें तो भी बवाल हो जाता है! क्यों, खिलाड़ी सिर्फ़ लड़कों के लिए खेलते हैं?

6) घर आते ही ब्रा निकाल देना

अब यार लड़कियों का शरीर है, उनकी मर्ज़ी है घर पर क्या पहनना है, क्या उतारना है! और अगर ब्रा के बिना उन्हें अच्छा लगता है तो वही सही!

7) एक ही ब्रा कई दिनों तक पहनें

किसको आपत्ति है इस बात पर? कौन जा रहा है उनके कपड़े धोने? जब तक उनसे पसीने की बदबू ना आये और जब तक उनके कपड़ों से आपकी ज़िन्दगी में खलल ना पड़े तब तक करने दो उन्हें जो करना है!

8) खाना खाने के बाद डकार लें तो

अब ये भी समाज के नियमों के ख़िलाफ़ है कि अच्छी लड़कियाँ खाना खाने के बाद डकार ले लें तो! इंसान थोड़े ही होती हैं लड़कियाँ, कुछ अलग ही होती हैं!

9) वैक्स नहीं करें

एक बार फिर से वही बात, उनका शरीर, उनके बाल, उनकी त्वचा, उनका रूप-रंग, बाकी समाज गया तेल लेने! लेकिन सिर्फ़ इसलिए कि उन्होंने सर्दियों में या वैसे भी वैक्स नहीं किया तो किसी की सेहत पर क्या असर पड़ता है?

10) ज़ोर से हँसें

लीजिये, लड़के जितना मुँह फाड़ के हँस लें, चलेगा, लेकिन लड़कियों ने ऐसा कर लिया तो अशिष्टता है?

ये समाज की रीत ही कुछ अजीब सी है! बदलाव का वक़्त आ गया है, लड़कियों को उनकी मर्ज़ी के अनुसार जीने दो यार! या जो नियम उनके लिए हैं, लड़कों पर भी वही लगाओ! फिर आएगा मज़ा, क्यों?

 

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