सावन के महीने में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर साल भारी तादाद में श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा पर निकलते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि काफी लंबी और मुश्किलों से भरी यात्रा करने के बाद ही भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन पाने का सौभाग्य प्राप्त होता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरनाथ से भी खतरनाक और जोखिमों से भरी हुई है महादेव की एक और यात्रा. बावजूद इसके हर-हर महादेव के नारे लगाते हुए हर साल भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों का जत्था रवाना होता है.
अमरनाथ से कई गुना खतरनाक है ये यात्रा
दरअसल हिमाचल प्रदेश में समुद्र तल से करीब 18500 फिट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की यात्रा करना हर किसी के लिए आसान नहीं है क्योंकि इस यात्रा का रास्ता अमरनाथ की यात्रा से भी कई गुना खतरनाक है.
अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित इस पवित्र स्थल पर ऑक्सीजन की कमी के चलते अक्सर यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की सांसे फूल जाती हैं और जल्द ही लोग थकान महसूस करने लगते हैं. जबकि ठंड का आलम तो यह है कि यहां आनेवाले अधिकांश श्रद्धालु ठंड से ठिठुरने लगते हैं.
अग्निपरीक्षा से कम नहीं है इसकी चढ़ाई
श्रीखंड महादेव के इस अति पावन स्थल तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले शिमला से रामपुर तक करीब 130 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है फिर रामपुर से निरमंड तक 17 किलोमीटर का फासला तय करने के बाद निरमंड से बागीपूल तक फिर से 17 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है. बागीपूल पहुंचने के बाद फिर जाओ तक जाने के लिए 12 किलोमीटर का रास्ता तय करते हैं श्रद्धालु.
इन सभी रास्तों को तय करने के बाद श्रीखंड यात्रा के लिए 25 कोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो यहां आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होती है. इस सीधी चढ़ाई के दौरान कुछ श्रद्धालु बीच रास्ते में ही अपना दम तोड़ देते है.
इसके शिवलिंग की ऊंचाई है 75 फीट
आपको बता दें कि श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान रास्ते में कई धार्मिक स्थल और देव शिलाएं मौजूद हैं. श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क से सटा हुआ है और इसके शिवलिंग की ऊंचाई करीब 75 फीट बताई जाती है.
श्रीखंड में स्थित भगवान शिव के विशालकाय शिवलिंग के अलावा इससे करीब 50 मीटर पहले माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय स्वामी की प्रतिमाएं स्थित हैं.
गौरतलब है कि श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए जाते हैं. इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती है.
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