हमारे देश में ऐसे कई मंदिर है जिनकी अपनी एक अलग ही परम्परा है जो सदियों से वहां पर निभाई जा रही है।
ऐसा ही एक मंदिर है केरल में जहाँ पर एक परम्परा की वजह से ये मंदिर दुनियाभर में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है।
दरअसल केरल के कोल्लम जिले के कोट्टनकुलंगरा में श्रीदेवी का मंदिर है। इस मंदिर में देवी माँ की पूजा की ऐसी परम्परा निभाई जाती है, जो आपको हैरान कर सकती है।
यहाँ पर पूजा करने के लिए पुरुषों को महिला बनना पड़ता है।
इस मंदिर में ये परम्परा सदियों से निभाई जा रही है। यहाँ पर पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी लगी हुई है, इसलिए श्रीदेवी का मंदिर में जब किसी पुरुष को पूजा करना होता है तो उसे महिला का रूप धारण करना पड़ता है। इतना ही नहीं उसे महिलाओं की तरह पूरे सोलह श्रृंगार करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
हर साल यहाँ पर देश-विदेश से कई लोग दर्शन के लिए आते है, लेकिन सभी को यहाँ पर महिला बनना पड़ता है।
हर साल मार्च में यहाँ पर विशेष उत्सव मनाया जाता है जिसे चाम्याविलक्कू कहा जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर देवी माँ की मूर्ति खुद ही प्रकट हुई थी। इसके साथ ही ये केरल का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं है।
इस मंदिर के संबंध में कई बातें सुनने को मिलती है।
पहली बात तो ये है कि कई साल पहले इस जगह पर कुछ चरवाहों ने महिलाओं की तरह कपड़े और श्रृंगार करके पत्थर पर फूल चढ़ाएं थे, जिसके बाद पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी।
वहीं दूसरी बात ये सुनने को मिलती है कि कुछ लोग जब इस पत्थर पर नारियल फोड़ रहे थे तभी पत्थर से खून बहने लगा था। जिसके बाद से यहाँ पर लोग पूजा-पाठ करने लगे।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भी कोई पुरुष यहाँ पर सच्चे मन महिला बन कर पूजा-पाठ कर अच्छी नौकरी, सेहत और धन-धान्य का आशीर्वाद मांगता है तो देवी माँ जल्द ही उसकी मनोकामना पूरी करती है।