भारत संतों का देश रहा है. कहते हैं कि संत ही भारत की पहचान हैं.
विश्व में अगर भारत की संस्कृति की जयजयकार हो रही है तो उसके पीछे धर्म और संतों का ही मुख्य हाथ है.
अगर यह भी बोल दिया जाये कि धर्म और संत ही भारतीय समाज को चला रहे हैं तो यह गलत नहीं होगा. अन्यथा तो हमको लगता है कि समाज को कानून चला रहा है, लेकिन कानून से ज्यादा भारत देश को धर्म ही आगे बढ़ा रहा है.
बीते दिनों जब संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी के स्वर्गवासी होने की खबर आई तो एक बार को ऐसा लगा था कि जैसे भारत पर कोई प्रलय आ गयी है. भक्त लोग तो जैसे खुद को एक तरह से अनाथ ही समझने लगे हैं. लेकिन यह जीवन की सच्चाई है कि जो व्यक्ति इस धरती पर जन्म लेकर आया है उसको एक दिन जाना भी जरूर होता है. किन्तु सही शब्दों में संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी अपने जीवन का उद्देश्य पूरा करके ही गये हैं. मानवता भलाई के लिए सदैव तत्पर रहने वाले संत का नाम ही संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी था.
जिसके लिए रो गये, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी एक ऐसे संत हैं जिनके लिए खुद प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गयी थीं. असल में 15 अगस्त को लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस ख़त्म करते ही, मोदी सीधे संत जी को श्रधांजलि देने सारंगपुर पहुँच गये थे. मोदी जैसे ही इनके बारें में बोलना शुरू करते हैं तभी उनकी आँखें संत जी के प्रति आदरभाव बताने लगती हैं.
संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी ने बनाये 900 मंदिर
जहाँ एक तरफ आज समाज में मंदिरों के नाम पर लूट चल रही है और मंदिर निर्माण के लिए चंदा लेकर घर की दूकान चलाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी ने अकेले अपने दम पर 900 हिन्दू मंदिरों का निर्माण कराकर सनातन को अजर-मर बनाया है.
संत श्री प्रमुख स्वामी हमेशा कहते थे कि यह कार्य मैंने नहीं किया है बल्कि यह तो खुद ईश्वर ने किया है. इस तरह के कार्य कोई भी व्यक्ति बिना ईश्वर के आशीर्वाद बिना कर ही नहीं सकता है.
900 हिन्दू मंदिर बनवाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी के नाम ही है. साथ ही साथ गुजरात का अक्षरधाम मंदिर भी स्वामी जी के मार्गदर्शन पर बना था.
जब छोटी उम्र में ईश्वर को अपनाया
कहते हैं कि युवावस्था ऐसी उम्र होती है जब युवा सिर्फ और सिर्फ खुद के भविष्य से प्यार करता है. कैसे भी कैसे, ज्यादा से ज्यादा पैसे की चाहत ही उस समय युवाओं के लिए सबकुछ होती है. लेकिन वहीँ दूसरी तरफ संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी को केवल और केवल ईश्वर से ही प्यार था.
बताया जाता है कि संत स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी ने मात्र 28 साल की उम्र में ही बोचासणवासी अक्षरपुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान (बीएपीएस) के प्रमुख संत के पद को प्राप्त कर लिया था.
हमेशा मानव समाज की सेवा की है –
संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज जी ने अपना यह पूरा जीवन ही एक तरह से मानवता की भलाई में लगा रखा था.
गरीबों की मदद हो या लाचारों का ईलाज, बच्चों की शिक्षा हो या अनाथ बच्चियों का विवाह, संत जी ने सभी कार्य किये. भक्त बताते हैं कि कोई भी इसके द्वार से खाली हाथ नहीं लौटा करता था. सच्चे दिल से जो माँगा जाता था, वह उस व्यक्ति को जरूर मिलता था. कहते हैं कि इन्होनें कुछ ढाई लाख लोगों को नशे से दूर कर दिया था.
ऐसे संत के जाने से भक्त टूट ही जाता है और यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ है.
न्यूजर्सी में रचा जा रहा था इतिहास
संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज जी के मार्गदर्शन में ही न्यूजर्सी के अन्दर हिन्दुओं का सबसे बड़ा मंदिर बनाया जा रहा था. यह मंदिर कुछ 160 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है. मंदिर का निर्माण 2017 तक होना है. लेकिन मंदिर का निर्माण तो गुरूजी ने शुरू करा दिया था किन्तु शायद मंदिर में पहली आरती गुरूजी करना नहीं चाहते थे. यह मंदिर जब बनेगा और इतिहास में अपना नाम दर्ज कराएगा तो उस समय संत स्वामी महाराज जी बहुत याद किये जायेंगे.
कुल मिलाकर बोला जाये तो इस तरह से संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज शांतिलाल पटेल जी का भारत को छोड़कर जाना, रास नहीं आएगा.
संत श्री प्रमुख स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में भारत विश्व गुरु बन सकता था किन्तु आज ऐसा महान संत हमारे बीच में नहीं है, इसका दुःख पूरे भारतवर्ष को सदियों तक रहने वाला है.
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